…जब जज के बेटे ने टाइप किया आरूषि हत्याकांड का फैसला
किताब “आरूषि” के अनुसार इस मामले में फैसला लिखने के लिए अंग्रेजी टाइपिस्ट नहीं मिला था
नई दिल्ली। बहुचर्चित आरूषि-हेमराज हत्याकांड को लेकर लिखी गई एक किताब में दिलचस्प खुलासा हुआ है। अविरूक सेन द्वारा लिखी किताब “आरूषि” के अनुसार इस मामले में फैसला लिखने के लिए अंग्रेजी टाइपिस्ट नहीं मिला था। फैसला अंग्रेजी में टाइप होना था और इसके जानकार कम ही थे। ऎसे में न्यायाधीश श्याम लाल के बेटे आशुतोष ने कमान संभाली थी।
गाजियाबाद में नहीं मिला अंग्रेजी टाइपराइटर
आशुतोष ने खुद टाइपराइटर संभालकर अंग्रेजी में फैसले के शुरूआती 10 पन्ने टाइप किए। आशुतोष के हवाले से किताब में लिखा गया है कि गाजियाबाद में लगभग सभी टाइपिस्ट हिंदी के ही थे। वे दो या तीन स्टेनो ही ऎसे थे जो अंग्रेजी में टाइप करते थे। फैसला 210 पन्नों का था और इसके चलते एक महीने में पूरा फैसला टाइप हुआ। समस्या ये भी थी कि हमने फैसला टाइप करना शुुरू कर दिया था लेकिन तलवार दंपत्ति के वकील तनवीर अहमद मीर को स्टेनो नहीं मिला। बाद में उन्हें एक कबाब विक्रेता मिला जो अंग्रेजी में टाइप कर सकता था लेकिन वह त्योहारी सीजन में व्यस्त था।
दासना जेल में बंद है नूपुर-राजेश तलवार
इस किताब में मामले के ट्रायल और न्याय व्यवस्था के बारे में लिखा गया है। लेखक ने मामले से जुड़े लोगों के इंटरव्यू और ट्रायल के आधार पर यह किताब लिखी है। गौरतलब है कि इस मामले में आरूषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार फिलहाल उत्तर प्रदेश के दासना जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में उन्होंने फैसले के खिलाफ अपील भी की है।
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