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पटाखों को लेकर क्यों रोमांचित हो जाते हैं हम?

भारत में दीवाली, शादी और उत्सव पर प्रचलित पटाखे, अमरीका में आजादी और होलोवीन, फ्रांस में बास्तिल डे या गे फॉक्स डे तक में चलते हैं।

नई दिल्लीOct 13, 2017 / 08:34 pm

shachindra श्रीवास्तव

Why are we thrilled about the firecrackers?

firecrackers

नई दिल्ली। इंसान हमेशा से पटाखों और आतिशबाजी का शौकीन रहा है। वैसे ही जैसे तारों और जुगनुओं के प्रति रोमांच कभी कम नहीं हुआ। 11वीं सदी में चीन में पटाखों का प्रचलन शुरू हुआ और तब से यह बारूद का एकमात्र खुला उपयोग बने हुए हैं। भारत में दीवाली से शादी और अन्य उत्सव पर प्रचलित पटाखे, नेपाल के तिहार, अमरीका में आजादी के जश्न और होलोवीन, फ्रांस में बास्तिल डे या ब्रिटेन के गे फॉक्स डे तक प्रचलित रहे हैं। आखिर इंसान इस आतिशबाजी के प्रति इतना उत्सुक और रोमांचित क्यों होता है?

इंद्रधनुषी रंग और भव्यता का आकर्षण
बारूद पर एक मशहूर किताब लिखने वाले जैक कैली के मुताबिक जरा सी देर में खत्म हो जाने वाले इंद्रधनुषी रंगों की भव्यता आतिशबाजी को आकर्षक बनाती है। वहीं 16वीं सदी के एक आतिशबाज का कहना है कि आतिशबाजी अगर लंबी होती है, तो उसे एक प्रेमी के बहुत दिनों बाद लिए गए चुंबन से ज्यादा लंबा नहीं होना चाहिए।

अप्रत्याशित चिंगारियां करती हैं आकर्षित
शोध बताते हैं कि तुरंत, अप्रत्याशित और चिंगारियां इंसान की आंखों को आकर्षित करती हैं। आमतौर पर हम जो प्रकाश देखते हैं, वह स्थिर होता है, और एकरंगीय होता है। इसलिए आतिशबाजी ज्यादा आकर्षक लगती है। इसके अलावा रोलरकोस्टर की तरह आतिशबाजी हमें एक सुरक्षित माहौल में रोमांच और डर का मिला-जुला अहसास कराती है। यह खुशी और भय को एक साथ साझा करती है। वहीं शोध यह भी बताते हैं कि जानवर और बच्चे इसकी आवाज की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं।
रंगीन रोशनी के खतरे
चमकदार लाल रंग: लीथियम के घटकों से यह रोशनी पैदा होती है। इससे विषाक्त धुआं निकलता है, जिससे जलने पर बहुत ज्यादा जलन होती है।
तीखा हरा: बैरियम नाइट्रेट से पटाखों में हरा रंग आता है। श्वसन तंत्र के लिए यह बेहद घातक है।
चमकीला सफेद: एलुमीनियम का इस्तेमाल किया जाता है सफेद रोशनी वाले पटाखों में। इससे चर्मरोग का खतरा रहता है, और जान भी जा सकती है।
नीली रोशनी: कॉपर के घटकों के इस्तेमाल से नीली रोशनी पैदा की जाती है। इससे कैंसर होने का खतरा है और जान के लिए घातक है।

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