scriptकेंद्र ने क्यों माना, कोरोना संक्रमण के लिए खास समुदाय या स्थान पर दोषारोपण ठीक नहीं? | Why did center agree that it is not right to blame particular community or place for corona infection? | Patrika News
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केंद्र ने क्यों माना, कोरोना संक्रमण के लिए खास समुदाय या स्थान पर दोषारोपण ठीक नहीं?

 

हेल्थ मिनिस्ट्री ने एडवाइजरी जारी कर कोरोना को लेकर स्थिति स्पष्ट की
लोगों से समुदाय विशेष को जिम्मेदार न ठहराने की अपील की
सरकार ने माना इस तरह के बर्ताव से बैर भाव को मिलेगा बढ़ावा

नई दिल्लीApr 09, 2020 / 12:02 pm

Dhirendra

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नई दिल्ली। पिछले महीने निजामुद्दीन मरकज के बाद देश भर मे यह भ्रम फैल गया कि भारत में कोरोना संक्रमण के लिए तबलीगी जमात जिम्मेदार है। राजनीतिक दलों के नेताओं और आम आदमी की ओर से भी पिछले एक सप्ताह से इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। मुस्लिमों द्वारा थूकने की घटनाओं को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। इन आरोपों की वजह से खास समुदाय के खिलाफ वैमनस्य भाव को बढ़ावा मिलने के संकेत मिले हैं। इस बात को लेकर पिछले कई दिनों से चर्चा जोरों पर है।
जानकारों का कहना है कि अगर यह सिलसिला जारी रहा तो कोरोना के खिलाफ जारी मुहिम ढीला पड़ सकता है। यह विभिन्न समुदायों के बीच विभेद का विषय बन सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के लिए किसी समुदाय या स्थान पर दोषारोपण सही नहीं है। हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से यह परामर्श बुधवार को जारी किया गया है।
हेल्थ मिनिस्ट्री ने जारी परामर्श में कहा है कि इस तरह के बर्ताव से आपसी बैर भाव, अराजकता और अनावश्यक सामाजिक बाधाएं बढ़ती हैं। परामर्श में मौजूदा परिस्थितियों में लोगों द्वारा किए जाने वाले और न किए जाने वाले कार्यों को भी सूचीबद्ध किया गया है। इसमें स्वास्थ्य, सफाई या पुलिस कर्मियों पर निशाना साधने से बचने की अपील करते हुए कहा गया है कि ये लोग जनता की सहायता के लिए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक किए गए परामर्श में चिकित्सा कर्मी, सफाई कर्मी और पुलिस कर्मियों को महामारी के खिलाफ जारी अभियान में अग्रिम मोर्चे का कार्यकर्ता बताया गया है।

साथ ही यह भी बताया गया है कि संक्रमण के बारे में भय और गलत जानकारियों के प्रसार के कारण इन लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने को लेकर मामले भी दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं इलाज के बाद स्वस्थ होने वालों के प्रति भी इस प्रकार का भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने के मामले सामने आए हैं। सोशल मीडिया पर कुछ समुदायों और स्थानों को गलत जानकारियों के आधार पर संक्रमण फैलाने का दोषी ठहराया जा रहा हैं इस तरह के पूर्वाग्रह पूर्ण दोषारोपण को तत्काल रोका जाना जरूरी है। सरकार ने लोगों से अनुरोध किया है कि किसी समुदाय या स्थान को कोरोना संक्रमण फैलने के लिये दोषी नहीं ठहराया जाए।
दूसरी तरफ निजामुद्दीन मरकज के बाद इस तरह के घटनाक्रमों को लेकर बुद्धिजीवी भी सामने आए हैं। इन बुद्धिजीवियों ने मीडिया के सामने आकर स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की है।

हाल ही में ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा कि इस घटना के कारण कुछ सोशल मीडिया और सरकार समर्थक संचार माध्यम मुसलमानों को दोषी ठहरा रहे हैं। यह उचित नहीं है।
वहीं दिल्ली के इतिहासकार राणा सफ़वी ने बताया है निजामुद्दीन मरकज के आयोजकों को गैर जिम्मेदार तो माना है, लेनिक उन्होंने कहा है कि चूंकि यह कार्यक्रम पहले से चल रहा था, इसलिए कोरोना के लिए मुसलमानों को दोषी ठहराने के बदले घटना पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना एक वायरस है, जिसे हम सभी को मिलकर लड़ना होगा।
बता दें कि दक्षिण दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में पिछले महीने हुए तबलीगी जमात मरकज के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी से हुई वृद्धि और महामारी फैलने के लिए सोशल मीडिया पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद हेल्थ मिनिस्ट्री ने यह परामर्श जारी किया है। सोशल मीडिया पर की जा रही इस तरह की टिप्पणियों को रोकने के लिए सरकार द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है कि किसी संक्रामक बीमारी के फैलने से उपजी जन स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों के कारण पैदा होने वाले भय और चिंता, लोगों और समुदायों के विरुद्ध पूर्वाग्रह तथा सामाजिक अलगाव को बढ़ावा देती है।

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