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कोरोना वैक्सीन की डोज बच्चों को क्यों नहीं दी जाएगी, जानिए ये है वजह?

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अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन के हिसाब से बच्चों को ये वैैक्सीन देने की आवश्यकता नहीं हैं।
सरकार ने देश में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा है।

नई दिल्लीDec 23, 2020 / 12:04 am

Mohit Saxena

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नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर मंगलवार को एक बड़ा बयान सामने आया। सरकार का कहना है कि बच्चों को कोरोना की वैैक्सीन (Corona Vaccine) देने की जरूरत नहीं है। इस बयान के बाद सवाल उठता है कि क्या इस वैक्सीन की जरूरत बच्चों को नहीं है। इस पर डॉक्टरों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन के हिसाब से बच्चों को ये वैैक्सीन देने की आवश्यकता नहीं हैं।
30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का लक्ष्य

नीति आयोग (Nitin Aayog) के सदस्य डॉ वी के पॉल (Dr VK Paul) के अनुसार सरकार ने देश में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा है। इसमें से सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों और दूसरी बार में गम्भीर बीमारी से पीड़ित लोगों को दी जाएगी। बच्चों को वैक्सीन देने का कोई प्रावधान नहीं है। उनका कहना है कि वैक्सीन का ट्रायल ज्यादातर वयस्कों पर किया गया है।
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पॉल के अनुसार ये बीमारी ज्यादातर उम्रदराज लोगों में पाई गई है। अभी तक जो सुबूत सामने आए हैं, उसके आधार पर बच्चों को वैक्सीन देने का कोई कारण नहीं है। वैसे भी अभी तक जो ट्रायल सामने आए हैं, वह 18 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए हैं। ऐसे में बच्चों पर दवा के असर का कोई प्रमाण हमारे पास नहीं है।
इसका मतलब ये है कि क्या बच्चों को इस बीमारी का कोई खतरा नहीं हैं इस पर कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कोई ठोस तथ्य नहीं हैं। वहीं कुछ डाक्टरों का कहना है कि बच्चों का इम्यूनिटी सिस्टम बेहतर होने के कारण उन पर कोरोना का असर कम देखा गया है।
संक्रमण के बाद हल्के लक्षण दिखते हैं

ज्यादातर बच्चों में संक्रमण के बाद हल्के लक्षण दिखते हैं। यह दावा ब्रिटेन, यूरोप, स्पेन और ऑस्ट्रिया के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है। इस साल अप्रैल में शोधकर्ताओं ने 3 से 18 साल के 585 कोरोना पीड़ितों पर रिसर्च किया था। ये रिसर्च 82 अस्पतालों में किया गया। रिसर्च में सामने आया कि मात्र 62 फीसदी मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आई। वहीं, मात्र 8 फीसदी को आईसीयू में जाने की जरूरत पड़ी। इनमें से केवल चार बच्चों की मौत हुई। ये बच्चे भी किसी अन्य बीमारी से पीडित थे।
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मगर ब्रिटेन में जिस नए कोरोना वायरस की बात की जा रही है, वह अधिक खतरनाक बताया जा रहा है। हालांकि वीके पॉल ने मीडिया से कहा कि ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस (सार्स कोव-दो स्ट्रेन) के नए स्वरूप से वैक्सीन के विकास पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पॉल का कहना है कि ‘अब तक उपलब्ध आंकड़ों, विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि घबराने की कोई बात नहीं लेकिन और सतर्क रहना पड़ेगा। हमें समग्र प्रयासों से इस नयी चुनौती से निपटना होगा।’
नए वायरस के दिशानिर्देशों में बदलाव नहीं

पॉल ने कहा कि वायरस के स्वरूप में बदलाव के मद्देनजर उपचार को लेकर दिशा-निर्देश में कोई बदलाव नहीं किया गया है और खास कर देश में तैयार किए जा रहे टीका पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा।

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