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क्या पटरी पर लौट सकेगी अर्थव्यवस्था? जीडीपी के आंकड़ों से जानें पूरा सच

Highlights दूसरी तिमाही की जीडीपी में 7.5 फ़ीसद की गिरावट। पिछली तिमाही में जीडीपी में लगभग 24 फीसद की भारी गिरावट दर्ज की गई थी।

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GDP Growth

देश की जीडीपी पर असर।

नई दिल्ली। देश में कोरोना काल के कारण अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा है। महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद लोगों के व्यवसाय और रोजगार पर मंदी का असर देखा गया है। हालांकि राहत वाली खबर ये है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 7.5 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। तमाम एजेंसियों ने करीब दस फीसद की गिरावट का अनुमान लगाया था। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय जीडीपी में ग्रोथ देखने को मिल सकती है।

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पिछली तिमाही में जीडीपी में लगभग 24 फीसद की भारी गिरावट दर्ज की गई थी। लॉकडाउन के बाद ये आंकड़ा सामने आया था। मौजूदा तिमाही में उद्योग क्षेत्र में 2.1, खनन क्षेत्र में 9.1 और विनिर्माण के क्षेत्र में 8.6 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

हालांकि कृषि क्षेत्र और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। कृषि क्षेत्र में जहाँ 3.4 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है तो वहीं मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 0.6 फीसद का उछाल आया है।

रिजर्व बैंक के गर्वनर ने 26 नवंबर को एक आयोजन के दौरान कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर अपनी वापसी की ओर है। लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि यह रिकवरी आने वाले समय में टिकी रहे।

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क्या है जीडीपी

जीडीपी किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल आंकड़े को कहते हैं। इससे पता चलता है कि सालभर या फिर किसी तिमाही में अर्थव्यवस्था ने कितना अच्छा या खराब प्रदर्शन किया है। अगर जीडीपी डेटा सुस्ती दर्शाता है कि देश की अर्थव्यवस्था सुस्त हो रही है और देश ने इससे बीते साल के मुकाबले पर्याप्त सामान का उत्पादन नहीं किया और सेवा क्षेत्र में भी गिरावट रही।

भारत में सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफ़िस (सीएसओ) साल में चार बार जीडीपी का आकलन करता है। यानी हर तिमाही में जीडीपी का आकलन किया जाता है। हर साल यह सालाना जीडीपी ग्रोथ के आँकड़े जारी करता है।

माना जाता है कि भारत जैसे कम और मध्यम आमदनी वाले देश के लिए साल दर साल अधिक जीडीपी ग्रोथ हासिल करना बेहद जरूरी है ताकि देश की बढ़ती आबादी की जरूरतें पूरी हो सकें।

क्या ये सुधार का संकेत है?

अर्थशास्त्रियों के एक सर्वे में यह अनुमान था कि आंकड़ा साढ़े दस फीसदी तक रहेगा। उस लिहाज से देखेंगे तो खबर राहत वाली है। सीएमआईई (सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ) के अनुसार देश तकनीकी तौर पर मंदी में चला गया है, इसके बावजूद पहली तिमाही में अब तक की सबसे तेज गिरावट के मुकाबले इस तिमाही के आंकड़े में सुधार के संकेत हैं।

सीएमआईई का कहना है कि इसके लिए मुख्यरूप से औद्योगिक क्षेत्र जिम्मेदार है जो पिछली तिमाही में 35.7 फीसदी तक गिरने के बाद इस तिमाही इस गिरावट को 3.4 फीसदी पर ही बांधने में कामयाब रहा। वहीं कृषि क्षेत्र ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि निर्माण क्षेत्र, ट्रेड और होल्टस में भारी गिरावट देखने को मिली है। विशेषज्ञों के अनुसार बाजार में कोरोना वैक्सीन आने के बाद जीडीपी में सुधार की गुंजाइश होगी। मगर ये कितनी तेजी से उभरती है, इसका अंदाजा लगाना कठिन होगा।


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