बुजुर्ग महिला पेंतम्मा के दो बेटे थे। खुद का घर था और दोनों बेटे अच्छा खाते-कमाते थे। पेंतम्मा के पति की मौत के बाद वह बेटों पर आश्रित हो गई थी। हालांकि उसके पास पति की छोड़ी जमीन थी, लेकिन जरूरत ऐसी आई कि उसे पेंतम्मा को दो लाख रुपए में बेचना पड़ा। इसमें से एक लाख रुपए उसने दोनों बेटों में बांटकर एक लाख रुपए अपने पास रख लिए।
बेटों के जाने के बदल गई बहुओं की नीयत सयम का चक्र चला और कुछ दिन बाद एक बेटे की मौत हो गई और दूसरा बेटा घर छोड़कर न जाने कहां भाग गया। इसके बाद बहुओं की नीयत बिगड़ गई और सास को परेशान करना शुरू कर दिया। दोनों बहुओं ने पहले तो पेंतम्मा के पास रखे रुपयों को हड़प लिया और बाद में उन्हें घर से बाहर कर दिया। बेघर और बेसहारा पेंतम्मा भटकते हुए हैदराबाद पहुंच गईं। कोई काम न मिलने पर उन्होंने मजबूरन भीख मांगना शुरू कर किया। 2011 में हैदराबाद पहुंचने के बाद से वे मसारामबाग टीवी टॉवर पर रह रही थीं और यहीं भीख मांगती थीं। बुढ़ापे में उनकी जरूरतें सीमित थींं ऐसे में खाने और कपड़े के अलावा ज्यादा की जरूरत नहीं थी। जिस इलाके में वे थीं वहां लोग भीख भी अच्छी देते थे। इसके बाद पेंतम्मा ने बचत शुरू कर दी।
इतने पैसे देख चौंक गई पुलिस दिवाली की सुरक्षा के मद्देनजर हैदराबाद पुलिस ने रविवार को भीखारियों का तलाशी की थी। इस दौरान एक महिला पुलिसकर्मी को पेंतम्मा के पास तीन-चार थैलियां मिलीं। इनमें नकदी और जेवर थे। जब इनकी गिनती की गई तो पता चला कि पेंतम्मा की कुल बचत 2 लाख 34 हजार 320 रुपए थी। उनके पास सोने की एक चेन व कुछ चांदी के जेवर भी थे। भिखारी के पास इतनी रकम देखकर पुलिस के कान खड़े हो गए। सख्ती से पूछताछ की तो कहानी सामने आई। पुलिस ने बताया कि पेंतम्मा को वापस उनके गांव भेजने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया। अब पुलिस राष्ट्रीयकृत बैंक में पेंतम्मा का खाता खुलवाकर पूरे पैसे उसमें जमा करवा दिए हैं और उन्हें पुनर्वास केंद्र में भेज दिया है।