दरअसल, 25 जुलाई 2000 को दुनिया का पहला सुपरसोनिक यात्री विमान कॉनकॉर्ड हादसे ( world’s first supersonic passenger aircraft crashed ) का शिकार हो गया था। इस दुखद घटना में 113 लोगों की मौत हो गई थी। एयर फ्रांस का यह कॉनकॉर्ड एयरक्राफ्ट न्युयॉर्क की उड़ान पर जा रहा था, तभी दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
ध्वनि से भी ज्यादा तेज है Boom Supersonic Plane, लंदन से न्यूयॉर्क सिर्फ 3 घंटे में पहुंचा
इस दुखद हादसे के बाद वहां की स्थिति को अपने कैमरे में कैद करने वाले पेरिस के फोटोग्राफर फिलिप वोजर ( Paris photographer Philippe Wojazer ) ने बताया है कि यह बहुत ही भयावाह मंजर था। उन्होंने कहा कि जब उन्हें ये मालूम हुआ कि एक विमान दुर्घटनाग्रस्त ( Aircraft Crashed ) हुआ है तो वह फौरन उस स्थान तक पहुंचने की कोशिश में जुट गया।
फिलिप किसी तरह से घटनास्थल पर पहुंचा, लेकिन वहां पर पुलिस का भारी पहरा था। पुलिस ने इलाके को पूरी तरह से घेल लिया था और विमान के पास किसी को पहुंचने नहीं दिया जा रहा था। इसके बावजूद भी उन्होंने इस तरह के बाधा को पार करने की कोशिश की। इस बीच दो पुलिस वालों ने उन्हें रोकने की भी कोशिश की। हालांकि वे किसी तरह से घटनास्थल तक पुहंचने में सफल रहे।
उन्होंने देखा की वहां काफी धुआं था। फौरन कुछ तस्वीरें कैमरे में कैद की। जब वह विमान के बेहद करीब जाने की कोशिश कर रहा था, तब अपनी ओर पुलिस वालों को भागते हुए देखा। किसी तरह से फटाफट कुछ और तस्वीरें कैमरे में कैद किया। इसके बाद जब पुलिस वाले उनके पास पहुंचे उससे पहले उन्होंने अपने कैमरे से Disk निकाल ली और पुलिस द्वारा हिरासत में लेने से पहले उसे छिपा दिया और साइट से भाग निकला। इसके बाद यह दृश्य टीवी पर प्रसारित होने के साथ ही पूरी दुनिया के सामने कुछ ही पल में पहुंच गई।
1969 में पहली बार विमान ने भरी थी उड़ान
आपको बता दें कि Aerospatiale-BAC Concorde एक टर्बोजेट-चालित सुपरसोनिक यात्री विमान है। इस विमान को ब्रिटेन और फ्रांस सरकार ने मिलकर तैयार किया है। इसका निर्माण एयरोस्पेशियल और ब्रितानी विमान निगम की संयुक्त प्रौद्योगिकी से हुआ है।
1969 में पहली बार कॉनकॉर्ड सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट ने उड़ान भरी थी और 1976 से अपनी सेवाएं देनी शुरू की थी। इसकी सेवाएं अगले 27 वर्षों तक जारी रही। इस विमान ने लंदन के हीथ्रो और पेरिस के चार्ल्स डे गॉले हवाई अड्डे ( London’s Heathrow and Paris’s Charles de Gaulle Airport ) से न्यूयॉर्क और वाशिंगटन डीसी के लिए नियमित रूप से उड़ाने भरी।
रिकॉर्ड गति से चलने वाले इस विमान ने अन्य विमानों की तुलना में इस ट्रांस-अटलांटिक ( Trans-atlantic ) दूरी को आधे समय में तय की। इसलिए यह विमानन कंपनियों और यात्रियों के लिए काफी लाभप्रद साबित हुआ। इसके बाद इस तरह के केवल 20 विमानों का निर्माण किया गया। क्योंकि ऐसा माना गया कि आर्थिक दृष्टि से ये नुकसानदेह साबित हुआ।
हालांकि, 25 जुलाई 2000 को यह हादसे का शिकार हुआ तो इसमें 113 लोगों की मौत हुई। इसके बाद आर्थिक प्रभाव और अन्य कारकों के परिणामस्वरूप, 24 अक्टूबर 2003 में इसका प्रचालन पूरी तरह से बंद कर दिया गया। 26 नवंबर 2003 को इसने आखिरी उड़ान भरी थी।