सीआईए ने निष्कर्ष निकाला है कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले महीने इस्तांबुल में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का आदेश दिया था। सीआईए ने सऊदी सरकार के उन दावों का खंडन किया है कि प्रिंस की इस हत्याकांड में कोई भूमिका नहीं थी। सीआईए के अधिकारियों ने कहा है कि उनके पास यह साबित करने के पर्याप्त सबूत हैं कि मोहम्मद बिन सलमान को ऑपरेशन की पूरी जानकारी थी। सीआईए के इस दावे के बाद अपने परम सहयोगी देश के साथ संबंधों को संरक्षित करने के अमरीकी प्रशासन के प्रयासों को गहरा धक्का लगा है। अपने निष्कर्षों तक पहुंचने में सीआईए ने कई स्रोतों की जांच की, जिसमें एक फोन कॉल भी शामिल है जिसमें राजकुमार के भाई खालिद बिन सलमान जो अमरीका में सऊदी राजदूत हैं, खशोगी के साथ बात कर रहे हैं। इस फोन काल में खालिद ने वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार खशोगी को बताया कि उन्हें विवाह के जरूरी दस्तावेजों को पुनः प्राप्त करने के लिए इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास जाना चाहिए। यह स्पष्ट नहीं है कि खालिग को पता था कि खशोगगी की हत्या हो जाएगी, लेकिन सीआईए का मानना है कि उन्हें ऐसी कॉल करने का निर्देश अपने भाई से मिला होगा जिसे अमरीकी खुफिया एजेंसी ने ट्रेस कर लिया।
हालांकि वाशिंगटन डीसी में सऊदी दूतावास की एक प्रवक्ता फातिमा बासेन ने कहा कि राजदूत और खशोगी ने कभी भी तुर्की जाने से संबंधित कोई चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा कि सीआईए का दावा झूठा हैं। मोहम्मद की भूमिका के बारे में सीआईए का निष्कर्ष इस आकलन पर आधारित है कि देश के एक वास्तविक शासक के रूप में वही काम करते हैं, इसलिए उनके जानकारी के बिना इतने मशहूर और ताकतवर पत्रकार कि हत्या को अंजाम नहीं दिया जा सकता। सीआईए के विश्लेषकों का मानना है कि उनके पास सत्ता पर दृढ़ पकड़ है और खशोगी हत्याकांड के बावजूद सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में अपनी स्थिति खोने जैसा कोई खतरा नहीं है। बता दें कि कई हफ्तों तक खशोगी की मौत को नकारने सऊदी अरब ने इस बात को स्वीकार किया था कि उनकी हत्या हो गई है। पिछले हफ्ते सऊदी अभियोजक ने 11 कथित आरोपियों के खिलाफ आरोपों की घोषणा की और कहा कि वह उनमें से पांच के खिलाफ मौत की सजा कि मांग की जाएगी।