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289 करोड़ खर्च करने के बाद भी चुनाव नहीं जीत सका यह दिग्गज, अब सोशल मीडिया पर उड़ रहा है मजाक

ऑस्ट्रेलिया के चुनाव परिणाम में हुआ था बड़ा उलटफेर
पीएम स्कॉट मॉरिसन के लिबरल गठबंधन ने मारी बाजी
3 साल के लिए होता है ऑस्ट्रेलियाई संसद का चुनाव

नई दिल्लीMay 20, 2019 / 07:16 pm

Siddharth Priyadarshi

मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया चुनाव बीते दो दिन हो गए हैं। इस चुनाव में लिबरल पार्टी एक बार फिर सत्ता में वापसी करने में सफल रही। लेबर पार्टी को जीत मिलने की चुनावी पंडितों की भविष्यवाणी के बीच लिबरल गठबंधन सत्ता में वापसी करने में सफल रहा। दो दिन बाद अब इस चुनाव का एक बेहद दिलचस्प पहलू सामने आया है। इस चुनाव में एक उम्मीदवार ऐसा था जिसने चुनाव जीतने के लिए 289 करोड़ खर्च कर दिया लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। अब यह शख्स सोशल मीडिया में मजाक का पात्र बन गया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मशहूर ऑस्ट्रेलियन बिजनेसमैन क्लाइव पामर की। चुनाव अभियान में 289 करोड़ खर्च करने के बाद भी एक भी सीट जीतने में विफल रहे हैं। संयुक्त ऑस्ट्रेलिया पार्टी के इस अरबपति नेता को सीनेट में एक भी सीट नहीं मिली।

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पानी की तरह बहाए पैसे

क्लाइव पामर की यूनाइटेड ऑस्ट्रेलिया पार्टी चुनाव विज्ञापन पर $ 60 मिलियन खर्च करने के बाद संघीय संसद में एक भी सीट जीतने में विफल रही है। अनुमान है कि पामर ने प्रति प्रति वोट लगभग 1,500 डॉलर खर्च किया था। पामर ने निचले सदन की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों को खड़ा किया। राष्ट्रीय वोट का कुल 3.4% इनकी पार्टी के खाते में गया। क्वींसलैंड में जहां पामर को खुद सीनेट सीट जीतने का एक मजबूत उम्मीदवार माना जाता था, वहां भी उनकी पार्टी को करारा झटका लगा है। अब चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि उनके पीले रंग के होर्डिंग्स की वजह से लोगों का जुड़ाव उनसे टूट गया। लोगों को लगता था कि वह बिल शार्टेन के खिलाफ नकारात्मक चुनाव प्रचार कर रहे हैं। अभियान के दौरान क्लाइव पामर ने कहा, “हमने ऑस्ट्रेलिया को एक अरब डॉलर के अतिरिक्त करों से बचाया है।’ अब लोग उनके इस भाषण का खूब मजाक उड़ा रहे हैं।

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सबसे पहले शुरू किया था चुनाव प्रचार

पामर का अभियान पिछले साल शुरू हुआ, जब उनका पीले रंग का “मेक ऑस्ट्रेलिया ग्रेट” का बोर्ड सिडनी और ब्रिस्बेन के तकरीबन हर इलाके में नजर आता था। 2013 में वह संसद के लिए चुने गए थे। 2016 में जिस वर्ष उनकी संसद सदस्य्ता समाप्त हुई, उसी साल उनकी क्वींसलैंड निकल रिफाइनरी बंद हो गई जिससे लेनदारों को लगभग 300 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। चुनाव के दिन मतदान केंद्रों पर, स्वयंसेवकों को वोट कार्डों को सौंपने के लिए $ 27 प्रति एक घंटे का भुगतान किया गया था। एबीसी चुनाव विश्लेषक एंथनी ग्रीन का अनुमान है कि पामर ने लगभग 1,500 डॉलर प्रति वोट खर्च किए थे।


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