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धरती के साथ अब आसमान में भी मंडरा रहा कोरोना का खतरा ! जानें कैसे ?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ( World Meteorological Organization ) का ‘ग्लोबल ऑब्ज़रविंग सिस्टम’ के जरिए वायुमंडल और महासागरों की सतह की स्थिति पर भूमि, समुद्र और आकाश में तैनात उपकरणों से नज़र रखी जाती है
कोरोना ( COVID-19 ) महामारी के चलते ऐसे उपकरणों की मरम्मत, रखरखाव, आपूर्ति करना बड़ी चुनौती है।
राष्ट्रीय मौसम सेवा ( National Weather Service ) के अनुसार हवाई यात्रा पर लगे प्रतिबंध के कारण मौसम का सटीक आकलन करना चुनौती का विषय है।

Apr 12, 2020 / 07:37 am

Naveen

दुनिया के 180 से ज्यादा देश इस समय कोरोना ( coronavirus ) के संकट से जूझ रहे है। अब तक एक लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से मारे जा चुके है। वहीं, 16 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके है। लेकिन, एक रिपोर्ट के मुताबिक इसका खतरा धरती के साथ-साथ अब आसमान में भी मंडराने लगा है। जिसका प्रभाव मौसम पूर्वानुमान ( Weather Forecast ) की सटीकता पर पड़ सकता है। राष्ट्रीय मौसम सेवा ( National Weather Service ) के अनुसार हवाई यात्रा पर लगे प्रतिबंध के कारण मौसम का सटीक आकलन करना चुनौती का विषय है।

इससे भविष्य में खतरा उत्पन्न हो सकता है। यूएन एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम संबंधी आपदाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में महामारी कोविड-19 ने दुनिया के सामने चुनौती खड़ी कर दी है।

निगरानी प्रणाली पर असर
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ( World Meteorological Organization ) का ‘ग्लोबल ऑब्ज़रविंग सिस्टम’ के जरिए वायुमंडल और महासागरों की सतह की स्थिति पर भूमि, समुद्र और आकाश में तैनात उपकरणों से नज़र रखी जाती है। इस प्रक्रिया से एकत्र डेटा का उपयोग मौसम विश्लेषण, पूर्वानुमान, सलाह और चेतावनी जारी करने के लिए किया जाता है। लेकिन, कोरोना महामारी के चलते ऐसे उपकरणों की मरम्मत, रखरखाव, आपूर्ति करना बड़ी चुनौती है।

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इसके अलावा हवाई यातायात में भारी कमी आई है जिसका असर पड़ा है। उड़ान के दौरान विमान आस-पास के तापमान, हवा की गति और दिशा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करते हैं जिसका इस्तेमाल मौसम पूर्वानुमान और जलवायु निगरानी में किया जाता है। राष्ट्रीय मौसम सेवा के अनुसार, 3,500 से अधिक वाणिज्यिक विमान प्रत्येक वर्ष 250 मिलियन से अधिक मौसम पूर्वनुमान प्रदान करते हैं। योरोपीय क्षेत्र में एयर ट्रैफ़िक रीडिंग में 85 से 90 फ़ीसदी की कमी आई है और 31 राष्ट्रीय मौसम प्रणाली विमानों से ना मिल पा रहे डेटा के विकल्पों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

 

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