गौरतलब है कि बिहार में महागठबंधन के टूटने के बाद से शुरू हुआ राजनीतिक उठापटक का दौर अभी कमजोर नहीं पड़ा है। जहां बिहार के सीएम
नीतीश कुमार के राजद से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने और फिर एनडीए में शामिल होने के बाद जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने विरोधी तेवर अपना लिए थे। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक शरद यादव गुट की ओर से पार्टी पर दावा साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए।
उधर, चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि इस फैसले के बाद अब शरद यादव की राज्यसभा की सदस्यता रद्द होने का रास्ता भी साफ हो गया है। त्यागी ने कहा कि कांग्रेस व राजद के सहयोग से कुछ नेता भ्रांति फैलाने की कोशिश कर रहे थे। वहीं राज्यसभा में जेडीयू के नेता आरसीपी सिंह ने चुनाव आयोग के फैसले का समर्थन किया है। सिंह ने कहा, ‘जेडीयू एक पार्टी है और नीतीश कुमार हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, शरद यादव साबित करना चाहते थे कि पार्टी के भीतर ही वे एक अलग ग्रुप के नेता हैं।’ लेकिन वे गलत राह पर हैं और सफल नहीं हुए।
बागियों की राज्यसभा सदस्यता रद्द करने की मांग : गौरतलब है कि राज्यसभा सचिव बागी शरद यादव और अली अनवर को नोटिस भेज चुके हैं। नोटिस में सचिव ने दोनों ही सांसदों से नीतीश खेमे की मांग पर जवाब मांगा है। नीतीश खेमे ने शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की है। दोनों को अपना जवाब एक हफ्ते के अंदर देना है। बता दें कि जदयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में राज्यसभा के सभापति
वेंकैया नायडू को उनकी सदस्यता रद्द करने का ज्ञापन दिया था, जिसके बाद सचिवालय ने यह कदम उठाया है।