भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान में कोहराम मच गया था। लंबे समय तक अस्थिरता की वजह से देश में राजनीतिक माहौल काफी तनावपूर्ण हो गए थे। पाकिस्तान में चारों तरफ हिंसा का माहौल पैदा हो गया था। तत्कालीन पाक सैन्य सरकार ने इस हत्या के लिए टीटीपी प्रमुख बैतुल्लाह महसूद को दोषी ठहराया था लेकिन महसूद ने इन आरोपों से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद पुलिस ने अब्दुल राशिद, ऐतजाज शाह, रफाकत हुसैन, हुसनैन गुल और शैर जमान को गिरफ्तार कर लिया था और दावा किया था कि वे टीटीपी के सक्रिय सदस्य हैं, जिन्होंने भुट्टो की हत्या में अहम रोल निभाए थे।
रावलपिंडी के आतंक रोधी न्यायालय ने 31 अगस्त, 2017 को अपने फैसले में इन पांचों को बरी कर दिया था, लेकिन उन्हें आतंकवादियों से लिंक होने के चलते पूरी तरह से आजाद नहीं किया गया था। पाक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लाहौर हाइकोर्ट के रावलपिंडी पीठ के दो जजों मिर्जा वकास और सरदार सरफराज ने कल उन्हें 5,00,000 रुपए के जुर्माने पर जमानत दे दी। न्यायिक पीठ ने इसके साथ ही अगली सुनवाई में उन पांचों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को नजर रखने का आदेश दिया। हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि तालीबानी आतंकियों को कब रिहा किया जाएगा, क्योंकि उन्हें फिलहाल रावलपिंडी जेल से 28 नवंबर, 2017 को ही लाहौर के कोट लखपत जेल में स्थानांतरित किया गया है। एक जेल अधिकारी ने बताया कि रिलीज ऑर्डर आज या कल तक मिल जाएगा। हालांकि प्रांतीय सरकार उनकी गिरफ्तारी की अवधि बढ़ा भी सकती है, क्योंकि पंजाब सरकार के पास ऐसा करने का कानूनी अधिकार है।