डायनामाइट से उड़ाया था 2001 के बामियान की तर्ज पर 2007 में इस प्रतिमा को डायनामाइट से उड़ाने की कोशिश की गई थी,जिससे इस प्रतिमा को काफी नुकसान पहुंचा था। कुछ लोगों की नजर में यह एक बर्बरतापूर्ण कृत्य था। कट्टरपंथियों ने इस इलाके की ऐतिहासिक पहचान और संस्कृति को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
काफी दुख हुआ स्वात में रहने वाले लोगों कहना है कि इस मूर्ति के तोड़े जाने के बाद उन्हें काफी दुख हुआ था। वह उसे अपनी धरोहर के रूप में सहेज रहे थे। उनका कहना था कि यह उनकी संस्कृति और इतिहास का प्रतीक थी। यहां अब इटली की सरकार सैकड़ों पुरातत्व महत्व की जगहों को संरक्षित करने में मदद कर रही है। स्थानीय अथॉरिटी को उम्मीद है कि इस जगह को इटली की मदद से फिर से इस जगह को ऐतिहासिक रूप से संदुर बनाया जा सकेगा। इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिल सकेगा।
20 फुट की मूर्ति को तोड़ा था करीब एक दशक पहले आतंकी 20 फुट ऊंची प्रतिमा के ऊपर चढ़े और उस पर विस्फोटक रख दिया था। इससे प्रतिमा का कुछ हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। यहां तक की बुद्ध की प्रतिमा का चेहरा उसमें क्षतिग्रस्त हुआ था। इसके बाद से कुछ बुद्धजीवियों ने यहां के इतिहास को संरक्षित करना शुरू कर दिया। आतंकी पूरे शहर में तबाही मचाना चाहते थे। इससे बचने के लिए लोगों में जागरुकता लाना शुरू की। गौरतलब है कि स्वात में रहने वाले कई परिवार, जो इसके इतिहास के संबंध में जानकारी नहीं रखते हैं,उन्होंने भी 2007 में इस हमले की सराहना की थी और बुद्ध की प्रतिमा को इस्लाम विरोधी करार दिया था।