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क्या रूस के साथ रक्षा सौदा कर भारत अमरीकी प्रतिबंधों को न्योता दे रहा है ?

अगर भारत ने रूस के साथ यह समझौता किया तो उसे जल्दी ही अमरीकी प्रतिबंधों के खतरे का सामना करना पड़ सकता है

नई दिल्लीOct 05, 2018 / 01:08 pm

Siddharth Priyadarshi

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क्या रूस के साथ रक्षा सौदा कर भारत अमरीकी प्रतिबंधों को न्योता दे रहा है ?

नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच 5 बिलियन डॉलर के संभावित रक्षा समझौते पर अमरीका अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। माना जा रहा है कि अगर भारत ने रूस के साथ यह समझौता किया तो उसे जल्दी ही अमरीकी प्रतिबंधों के खतरे का सामना करना पड़ सकता है। रक्षा क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि रूस के साथ विवादास्पद 5 बिलियन डॉलर के हथियार सौदे को लेकर भारत से अधिक दबाव अमरीका के ऊपर है। माना जा रहा रहा है कि दिल्ली के मुकाबले वाशिंगटन में इसको लेकर अधिक सिरदर्द वाली स्थिति है।

क्या होगा अमरीकी कदम

भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को राजधानी नई दिल्ली में औपचारिक वार्ता के लिए अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। वार्ता का मुख्य एजेंडा भारत को रूस से उच्च तकनीक वाली एस -400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का मिलना है। सतह से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल रक्षा प्रणाली की संभावित खरीद को लेकर पूरी दुनिया में हलचल है।विशेषज्ञों का मानना है कि समझौते बाद भारत संभावित रूप से अमरीकी कानूनों के तहत प्रतिबंधों के दायरे में आ सकता है। माना जा रहा है कि भारत पर Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) के उल्लंघन के तहत प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। कहा जाता है कि इस कानून को पिछले वर्ष अगस्त में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मॉस्को को अपनी “घातक गतिविधियों” के लिए दंडित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बता दें कि पिछले महीने अमरीका ने कात्सा कानून के तहत एस -400 सहित रूसी सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए चीन के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे।

अमरीका की मुश्किलें

ऐसे समय में जबकि चीन अमरीका के लिए एक उभरती प्रतिद्वंद्वी शक्ति है, भारत को एक महत्वपूर्ण अमरीकी रणनीतिक सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है। अमरीकी रक्षा प्रमुखों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीनी सैन्य विस्तार पर साझा चिंताओं के बीच हाल के वर्षों में कई क्षेत्रों में दिल्ली के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है। लेकिन भारत की रूसी हथियार प्रणाली की खरीद ट्रम्प प्रशासन को दिल्ली को दंडित करने या फिर चीन के खिलाफ भारत को बढ़ावा देने के बीच किसी एक कदम को चुनने के लिए मजबूर करेगी। लेकिन एक देश को छूट प्रदान करना पूरी दुनिया के सामने अमरीकी प्रतिबंधों के प्रभाव को कमजोर कर देगा और अमरीका पर शेष विश्व से चौतरफा पक्षपात के आरोप लगने शुरू हो जाएंगे। दिल्ली में पुतिन के आगमन की पूर्व संध्या पर अमरीकी विदेश विभाग ने बुधवार को सभी सहयोगियों और भागीदारों से रूस के साथ लेनदेन न करने का आग्रह किया और चेताया कि ऐसा करने वाले देश अमरीकी प्रतिबंधों का सामना करने की लिए तैयार रहें। हालांकि अमरीका ने बीते दिनों कुछ देशों को छूट देने से संबंधित कानून पारित किया गया है। ज्यादातर कूटनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह छूट भारत पर लागू की जा सकती है। लेकिन रूस को लेकर ट्रंप ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि है कि भारत-रूस सौदा ट्रंप को कितना स्वीकार्य होगा।

अमरीका के लिए समस्या यह है कि अगर वह भारत को एस -400 खरीदने की इजाजत देता है तो इसका कोई कारण नहीं है कि अन्य देशों को ऐसा करने की इजाजत न दी जाए। अगर यूएस ने भारत को छूट दी तो ऐसा सन्देश जाएगा कि कात्सा कानून पूरे अमरीका का कानून न होकर किसी खास व्यक्ति का स्वीकृति कार्यक्रम है जो केवल कुछ देशों पर लागू होता है और बाकी सब पर नहीं।

एस-400 पर अमरीकी आपत्तियां

भारत और रूस 2015 से एस -400 की खरीद पर बातचीत कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इस हाई-टेक मिसाइल सिस्टम को अपनी कक्षा में सबसे प्रभावी सतह-से-वायु डिफेंस प्रणाली माना जाता है। यह मिसाइल सिस्टम अमरीकी मिसाइलों से भी कहीं अधिक आधुनिक है। यह 400 किलोमीटर तक की दूरी पर मानव रहित विमान, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों सहित कई लक्ष्यों को भेद सकता है। एस-400 इतनी सक्षम और सस्ती है कि अपेक्षाकृत अमरीकी हथियारों के निर्माताओं के लिए इस मिसाइल से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल है। भारत के साथ तुर्की भी इस रक्षा सौदे में रूचि दिखा रहा है। बता दें कि नाटो सहयोगी होने के बावजूद तुर्की ने दिसंबर में रूसी निर्मित प्रणाली खरीदने के लिए एक अस्थायी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

अमरीकी रक्षा अधिकारियों का मानना है कि एस -400 का इस्तेमाल अमरीकी लड़ाकू विमानों पर किया जाएगा फिर तकनीकी डेटा इकट्ठा किया जा सकता है कि इन विमानों को भेदने के लिए यह मिसाइल कितनी सक्षम है।
भारत के लिए खतरे

यदि भारत एस -400 प्राप्त करता है, तो उसे आधुनिक अमरीकी हथियारों को हासिल करना मुश्किल हो सकता है। अमरीका भारत को कुछ उन्नत लड़ाकू विमानों को खरीदने की इजाजत देने से इंकार कर सकता है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अगर अमरीका प्रतिबंध लगाता है तो इससे अमरीका-भारत संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। यह केवल उन्नत सैन्य विमानों की बिक्री पर असर डालेगा।

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