खामेनी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “सच यह है कि पूरे 40 साल के संघर्ष के दौरान जो पक्ष पराजित हुआ है वह अमरीका है और जिसकी जीत हुई है वह इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान है। अमरीका पराजित हुआ है क्योंकि उसने कभी लक्ष्य हासिल किए बगैर हमले शुरू किए हैं। वह जितना ईरान को कुचलने की कोशिश करेगा, उतना ही ईरान ताकतवर होगा।” खामोनी ईरानी क्रांति के दौरान चार नवंबर 1979 को तेहरान स्थित अमरीकी दूतावास पर कब्जा करने की बरसी के मौके पर बोल रहे थे। बता दें कि इस मामले में 52 अमरीकी नागरिकों को एक साल से अधिक समय तक बंधक बनाए रखा गया था ।
खामेनी ने कहा, “अमेरिका 40 साल पहले जितना ताकतवर था, आज उसकी अपेक्षा काफी कमजोर है।” उन्होंने कहा कि दुनिया का हर देश अमरीका के हर फैसले का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ जनता, बल्कि सरकारें भी विरोध करती हैं। बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को ईरान पर कठोर प्रतिबंध लगाने वाले हैं। केवल भारत समेत आठ देशों को अस्थायी तौर पर ईरान से तेल का आयात करने की अनुमति होगी। खामेनी ने अमरीकी प्रतिबंधों को चुनौती देते हुए कहा कि ये सब प्रतिबंध को व्यर्थ हैं।उन्होंने दावा किया कि ईरान को आर्थिक और राजनीतिक रूप से आत्मनिर्भर बना लिया गया है।