नेतन्याहू ने एक साल पहले सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी ब्लू एंड व्हाइट को तोडकऱ आधे सदस्यों को सरकार का हिस्सा बना लिया। लेकिन उन्हीं की लिकुड पार्टी में विरोध के बाद सरकार गिर गई। पिछले वर्ष लिकुड पार्टी से अलग हुए गुट ने न्यू होप नाम से नई पार्टी बना ली, जिसने ताजा चुनाव में छह सीटें जीती हैं। नेतन्याहू की लिकुड और सहयोगी पार्टियों ने 59 सीटें जीती हैं, जबकि विपक्षी दलों ने 57 सीटों पर कब्जा किया है। लेकिन सरकार बनाने का फॉर्मूला नेतन्याहू के विरोधी और अरब विचारधारा के समर्थक मंसूर अब्बास के पास है, जो 4 सीटें जीतकर किंगमेकर की भूमिका में है। नेतन्याहू की मजबूरी यह है कि जिस अरब विरोधी दृष्टिकोण को लेकर उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की, उसी सोच के मंसूर अब्बास से हाथ मिलाना पड़ सकता है। चुनाव में उन्हें इस बात का अंदाजा था। इसीलिए उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान खुद को अरबी नाम अबु यैर से जोड़ा। हालांकि निर्वाचित प्रतिनिधियों से मिलने के बाद संभव है कोई नया चेहरा सामने आए।