scriptसूडान: सेना की हिरासत में पूर्व राष्ट्रपति बशीर, प्रदर्शनकारियों ने ‘तख्तापलट’ को किया खारिज | Joy turns to anger in Sudan after army declares Military rule | Patrika News

सूडान: सेना की हिरासत में पूर्व राष्ट्रपति बशीर, प्रदर्शनकारियों ने ‘तख्तापलट’ को किया खारिज

locationनई दिल्लीPublished: Apr 12, 2019 04:17:43 pm

सूडान में राष्ट्रपति बशीर का तख्तापलट
सेना ने बनाई दो साल की सरकार
लंबे समय से हो रहा था राष्ट्रपति बशीर का विरोध

Sudan crisis

खार्तूम। सूडान में सेना द्वारा राष्ट्रपति बशीर का तख्तापलट करने के बाद देश एक नए संकट में फंसता नजर आ रहा है। विपक्षी कार्यकर्ता और राजनैतिक समूहों ने राष्ट्रपति उमर-अल-बशीर को बदलने के लिए एक नागरिक सरकार के स्थापना का आह्वान किया है। साथ ही इन समूहों ने सूडान के कई इलाकों में अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कर्फ्यू के बावजूद सूडान में सेना की सत्ता का विरोध शुरू हो गया है।

सूडान में तख्तापलट, सेना ने राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को किया गिरफ्तार

सूडान की जनता निराश

कई महीनों तक सरकार विरोधी रैलियों के बाद, हजारों लोगों ने सूडान की राजधानी खार्तूम की सड़कों पर गुरुवार की सुबह जमकर प्रदर्शन किया। सेना द्वारा तख्तापलट के समाचार आने के बाद लोगों में उत्साह की लहर दौड़ गई लेकिन बाद में जब सेना के सत्ता पर काबिज होने की खबर आई तो लोगों में निराशा की लहर दौड़ गई। लोगों के मांग है कि सेना की सत्ता के बजाय नागरिक प्रशासन की शुरुआत हो। गुरुवार को “नया युग, नया राष्ट्र!” नारे के साथ प्रदर्शनकारियों ने खार्तूम की सड़कों पर जमकर प्रदर्शन किया। राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को हटाने के नारे गूंजने लगे और सरकारी टीवी ने एलान कर दिया किसेना एक “महत्वपूर्ण बयान” देने वाली है। लेकिन जब घंटों बाद आखिरकार इस बात की घोषणा हुई कि जनरल अवध इब्न औफ ने अल-बशीर को हटाने के बाद दो साल की सैन्य- सरकार की स्थापना की है, तो लोगों का उत्साह,गुस्से और अविश्वास में तब्दील हो गया।

शीर्ष अमरीकी जनरल ने मिशन शक्ति का किया बचाव, कहा- भारत को आत्मरक्षा का अधिकार

शुरू हुआ सेना का विरोध

अल-बशीर के खिलाफ कदम की घोषणा करते हुए, जनरल इब्न औफ ने तीन महीने की आपातकालीन स्थिति और देश के संविधान के निलंबन की घोषणा की। लेकिन इससे लोग और भड़क उठे। अलग-अलग बयानों में कार्यकर्ताओं और विपक्षी समूहों ने नागरिक संक्रमणकालीन सरकार की स्थापना के अपने आह्वान को दोहराया और कहा कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक वह सड़कों पर उहे काबिज रहेंगे। सूडानी प्रोफेशनल्स एसोसिएशन (एसपीए), जिसने इस आंदोलन का नेतृत्व किया है, उसने भी सेना के कदम को “सैन्य तख्तापलट” के रूप में खारिज कर दिया और आगे प्रदर्शन जारी रखने की कसम खाई। सेना ने देश में देर रात के कर्फ्यू की घोषणा कर दी लेकिन जैसे-जैसे रात ढलने लगी, वैसे-वैसे यह अनिश्चितता बढ़ने लगी है कि क्या भीड़ सेना के आदेश के अनुसार तितर-बितर हो जाएगी।

विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..

 

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो