“मिशन शक्ति” पर बयान देते हुए अमरीकी विदेश विभाग ने कहा कि अंतरिक्ष मलबे का मुद्दा अमरीकी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। अमरीकी प्रतिनिधि ने कहा कि हमने भारत सरकार के बयानों पर ध्यान दिया है और पाया है कि ये परीक्षण अंतरिक्ष मलबे के मुद्दों को हल करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, “भारत के साथ हमारी मजबूत रणनीतिक साझेदारी है। अंतरिक्ष और सुरक्षा में सहयोग सहित, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिए आपसी तालमेल जारी रहेगा।” बता दें कि भारत ने 27 मार्च को अंतरिक्ष में अपने एक उपग्रह को जटिल क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए एंटी-सैटेलाइट मिसाइल से मार गिराया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परीक्षण की घोषणा की। बता दें कि भारत केवल चौथा देश है जिसने अमरीका, रूस और चीन के बाद इस तरह की क्षमता हासिल की है।
भारत के इस परीक्षण का अमरीका को तुरंत पता लग गया था। एक बार जब प्रक्षेपण का पता चला, तो अमरीकी अंतरिक्ष कमान ने उपग्रह ऑपरेटरों को सूचित करना शुरू कर दिया। अमरीकी सेना के सैटेलाइट चेतावनी और निगरानी नेटवर्क पर बुधवार को भारत के मिसाइल प्रक्षेपण का पता लग गया था। एयर फोर्स स्पेस कमांड के वाइस कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डेविड डी थॉम्पसन ने कहा, “हम भारत के परीक्षण से अवगत थे। स्पेस में मिसाइल लॉन्च होने के बाद हमने तुरंत उपग्रह ऑपरेटरों को सूचना देना करना शुरू कर दिया।” भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा किए गए एंटी-सैटेलाइट हथियार परीक्षण को “मिशन शक्ति” नाम दिया गया था। पत्रकारों से बात करते हुए थॉम्पसन ने कहा कि हालांकि इस प्रकार के परीक्षण हमेशा उपग्रहों निश्चित रूप से जोखिम पैदा करते हैं। लेकिन भारत का परीक्षण न्यूनतम जोखिम वाला था।
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