संयोग यह है कि शुक्रवार को ही ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से अलग होना प्रस्तावित था और शुक्रवार को ही एक और मसौदे के खारिज होने से इस पूरी प्रक्रिया को लेकर असमंजस और बढ़ गया। मे ने कहा कि इस मतदान के ‘गंभीर असर’ होंगे और ‘कानून’ का कहना है कि 12 अप्रैल को युनाइटेड किंगडम (यूके) को अलग होना होगा। यह तीसरी बार है, जब ब्रेक्जिट पर करार के मसौदे को सांसदों ने खारिज किया है। एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यूके, यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए और समय की मांग कर सकता है। सांसद अन्य विकल्पों पर सोमवार को विचार करेंगे।
मे ने कहा कि- ‘यह बेहद खेद का विषय है कि सदन यूरोपीय संघ से व्यवस्थित तरीके से अलग होने का एक बार फिर समर्थन नहीं कर सका। इस फैसले के गंभीर परिणाम होंगे। जो तय है, उसके हिसाब से महज 14 दिनों के अंदर यानी 12 अप्रैल तक यूके को अलग होना है।’ उधर, विपक्षी लेबर पार्टी ने मे के इस्तीफे की और चुनाव कराने की मांग की है।