तमिलों पर हुए अत्याचार में संलिप्त थे कथित तौर पर अमनुपुरे श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान तमिलों पर हुए अत्याचार में संलिप्त थे। गृहयुद्ध के दौरान बताया जाता है कि हजारों नागरिकों पर कहर ढाए गए और संयुक्त राष्ट्र ने उसे युद्ध अपराध बताया था। मानवाधिकार समूह, इंटरनेशनल ट्रथ एंड जस्टिस प्रोजेक्ट (आईटीजेपी) ने अप्रैल में लंदन से जारी एक बयान में कहा था कि उसने संयुक्त राष्ट्र को अर्धसैनिक विशेष कार्यबल (एसटीएफ)के 56 कर्मियों की सूची भेजी थी और बताया था कि उनके मानवाधिकार रिकॉर्ड के कारण उन्हें शांति सेना के तौर पर सेवा से वंचित किया जाना चाहिए।
सुरक्षा बलों द्वारा सुनियोजित तरीके से अपराध किए गए आईटीजेपी ने कहा कि वे या तो कथित तौर पर अपराधी है या युद्ध के अंतिम दौर में अग्रिम मोर्चे में शामिल थे,जिसके संबंध में संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि सुरक्षा बलों द्वारा सुनियोजित तरीके से अपराध किए गए। आईटीजेपी ने सूची में शामिल नामों को गुप्त रखा। आईटीजेपी के कार्यकारी निदेशक यास्मिन सूका ने उसी समय कहा था कि एक एसटीएफ अधिकारी ने 2006-07 में श्रीलंका के पूर्वी इलाके में अवैध तरीके से तमिलों की हत्या करने का आदेश दिया था। उन्होंने उस समय उस अधिकारी के बारे में बताया था कि वह अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान दल में शामिल है।
मानवाधिकार हनन के पर्याप्त सबूत हैं सूका ने कहा कि उनके संगठन के पास मानवाधिकार हनन के पर्याप्त सबूत हैं और वह संयुक्त राष्ट्र की जांच में मदद करने को तैयार हैं। आईटीजेपी ने विशेष कार्यबल द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन और न्यायेतर हत्या के संबंध में अप्रैल में एक रिपोर्ट जारी की थी, जोकि मुख्य रूप से सैन्य दल में विगत में कार्य कर चुके सिंहलियों और उनके साथ काम करने वाले पूर्व तमिल अर्धसैनिक बलों की गवाही पर आधारित है।