वायरस जैसे तत्त्वों का होता है प्रयोग वैक्सीन बनाने में वायरस जैसे तत्त्व प्रयोग होते हैं जो संक्रामक नहीं होते। ये पार्टिकल शरीर में जरूरी एंटीबॉडीज को तैयार करते हैं जो रोग से लड़ने में सहायक होता है। कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन से कोशिका पर स्थित रिसेप्टर से जुड़ता है, जो संक्रमण फैलाने की इजाजत देता है। इस रिसेप्टर को एसीई-2 कहते हैं। हम वैक्सीन बनाने की दिशा में स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से के साथ ही काम कर रहे हैं, जिसे रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) कहते हैं।
चूहो पर हुआ वैक्सीन टेस्ट आरबीडी डोमेन को वायरस के पार्टिकल के साथ रासायनिक रूप से जोड़ दिया। इससे प्रतिरोधक तंत्र ये मानता है कि वायरस जैसे पार्टिकल से जुड़ा आरबीडी डोमेन खुद एक वायरस है। इस कारण वह ताकतवर प्रतिरोधतंत्र तैयार करता है। यही अधिकांश वैक्सिन तैयार करने का आधार है। वैक्सीन का टेस्ट चूहो पर हो चुका है। इसमें पाया गया है कि एसीई-2 रिसेप्टर का स्पाइक प्रोटीन से जोड़ रोक देती है जिससे संक्त्रस्मण नहीं होता। वैज्ञानिकों ने चूहों पर वैक्सीन का टेस्ट पूरा कर लिया है। वैक्सीन डेवलपमेंट से जुड़े शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने आगामी परीक्षण के लिए इंग्लैंड में शुक्रवार से (18 से 55 साल उम्र के) स्वस्थ स्वयंसेवक चुनने शुरू किए।