दरअसल, अमरीकी राष्ट्रपति चाहते थे कि हिंसा के जरिए पूरी संसद का ध्यान भंग किया जाए और उसका फायदा उठाकर दोनों सदनों के संयुक्त सत्र की अध्यक्षता कर रहे उपराष्ट्रपति पेंस एरिजोना और पेंसिलवेनिया के चुनाव को रद्द कर देंगे, जिसके चलते उन्हें राजनीतिक लाभ मिल जाएगा। हालांकि अमरीकी संसद ने ट्रंप की इन दोनों ही आपत्तियों को खारिज कर दिया।
बुधवार को जिस समय एरिजोना और पेन्सिलवेनिया में ट्रंप की आपत्तियां खारिज हुईं, उसी समय जो बाइडन की जीत की घोषणा की जानी थी। लेकिन ठीक उसी समय ट्रप अपने समर्थकों को उकसाने के लिए व्हाइट हाउस के बाहर लगातार एक घंटे तक भाषण देते रहे। नतीजा यह हुआ कि उनके समर्थक दंगाइयों में तब्दील हो गए। सैकड़ों की संख्या में हथियारों से लैस समर्थक संसद भवन में घुस गए और दोनों सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट की कार्रवाई तक रोक दी। परिसर में जमकर तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई। इसमें एक महिला समेत 4 लोगों की मौत व 52 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। परिसर में एक संदिग्ध पैकेट भी मिला है। करीब 4 घंटे बाद पुलिस ने उन पर काबू पाया। इसके बाद 1000 नेशनल गार्डस को सुरक्षा के लिए लगाया है। वॉशिंगटन में 15 दिन तक सार्वजनिक आपातकाल घोषित किया गया है।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि यह हिंसा ट्रंप ने भड़काई है। वह लगातार चुनाव को लेकर आधारहीन झूठ फैला रहे हैं। वह समर्थकों इसके लिए उकसाते रहे हैं। यह देश के लिए बेहद अपमान और शर्मिंदगी पल है।
20 जनवरी को ट्रंप का कार्यकाल खत्म होने से पहले उन्हें पद से हटाया जा सकता है? इस पर भी अमरीका के भीतर बहस शुरू हो गई है। रिपब्लिकन नेता और पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने रिपब्लिकन के कुछ नेताओं से बैठक की है। हालांकि 25वें संविधान संशोधन के जरिए राष्ट्रपति की अपनी ही कैबिनेट उन्हें पद से हटा सकती है।
अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप तीन नवंबर को मतगणना के नतीजों में ही चुनाव हार गए थे। जो बाइडन को 306 और ट्रंप को सिर्फ 232 वोट मिले थे। बावजूद इसके ट्रंप ने बाइडन की जीत को नकार दिया था। धांधली के आरोप लगाकर वह इशारों में हिंसा की धमकी देते रहे। ट्रंप कैम्पेन ने चुनाव में धांधली को लेकर करीब एक दर्जन से अधिक मुकदमे भी किए थे, जो एक के बाद एक खारिज होते रहे। हालांकि इस बीच उन्होंने सत्ता हस्तांतरण के लिए रजामंदी दी थी, जिसके बाद माना जा रहा था कि सब कुछ सामान्य तौर पर निपट जाएगा।
अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेन्स ने हिंसक घटनाक्रम को अमरीका के लिए काला दिन करार दिया है। हिंसा करने वाले नहीं जीते, क्योंकि हिंसा कभी नहीं जीतती है। कांग्रेस की बैठक का फिर से शुरू होना यह बताता है कि हम एक मजबूत लोकतंत्र हैं और यह जनता का सदन है। चलिए अब काम शुरू करते हैं।
सीनेटर कैथी मैक्मॉरिस रोजर्स ने कहा कि संसद भवन में जो कुछ हुआ वह अपमानजनक है। हमारी संस्कृति नहीं है। भीड़ पुलिस पर हमला कर रही थी। संसद को नुकसान पहुंचाया जा रहा था। राष्ट्रपति ट्रंप इन घटनाओं की निंदा करें व इस पागलपन पर रोक लगाएं।
– ईश्वर से मैं प्रार्थना करती हूं कि देश के नागरिकों को ऐसा काला दिन फिर न देखना पड़े। इस घटना को अंजाम देने वालों को शर्म आनी चाहिए। उन्होंने जो कुछ किया वह निंदनीय है।
– कैली लोफ्लेर, सीनेटर
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अमरीकी संसद में हंगामे के बाद डिप्टी एनएसए ने व्हाइट हाउस से इस्तीफा दे दिया है। इससे मेलानिया ट्रंप की चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफनी ग्रीसम, व्हाइट हाउस की उप प्रेस सचिव सारा मैथ्यूज ने इस्तीफा दे दिया है।
220 सालों में अमरीकी कैपिटल हिल्स परिसर पर हमले या हिंसा की घटना पहली बार नहीं है। लेकिन इस तरह की हिंसा पहले कभी नहीं हुई है।
– 1950 में चार प्यूर्टो रिकान राष्ट्रवादियों ने सदन की विजिटर गैलरी से गोलीबारी में पांच सीनेटर घायल हुए थे।
– 1915 में सीनेट के स्वागत कक्ष में एक जर्मन हमलावर ने डायनामाइट की तीन छड़े लगाई थीं
– 1983 में सीनेट पर बमबारी हुई थी, लेकिन न कोई घायल न ही मौत हुई थी।
– 1998 में मानसिक बीमार व्यक्ति ने एक चौकी पर गोलीबारी कर दो कैपिटल पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी।