बैठक ( RIC Meeting ) के दौरान आधिकारिक रूप से कोई भी द्विपक्षीय मुद्दा नहीं उठाया जाएगा।
विदेश मंत्री ( foreign minister S Jaishankar ) ने दुनिया को भारतीयों द्वारा दिए गए बलिदान की याद दिलाई।
भारत-चीन तनाव ( india-china dispute ) के बीच दोनों देशों के मंत्रियों की बैठक के रणनीतिक मायने।
रूस की तीन दिवसीय यात्रा ( rajnath singh russia visit ) पर पहुंच चुके हैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।
S Jaishankar strong message to China at RIC Meeting
नई दिल्ली। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बने तनाव ( india-china dispute ) के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ( foreign minister S Jaishankar ) ने मंगलवार को चीन को कड़ा संदेश दिया। रूस, इंडिया, चीन की आरआईसी बैठक ( RIC Meeting ) में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विदेश मंत्रियों की बैठक में जयशंकर ने बिना चीन का नाम लिए कहा कि नियम आधारित आदेशों को अमल में नहीं लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह विशेष बैठक अंतरराष्ट्रीय संबंधों के दीर्घकालिक प्रमाणित सिद्धांतों में हमारे विश्वास को दोहराती है, लेकिन आज चुनौती अवधारणाओं और मानदंडों की नहीं बल्कि उन्हें एक समान ढंग से अमल में लाने की है।
WHO का बड़ा खुलासा, बताई कोरोना वायरस के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में कमी की वजह दुनिया की प्रमुख आवाजों को हर तरह से मिसाल कायम करनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करना, साझेदारों के वैध हित की पहचान, बहुपक्षवाद का समर्थन करना और सार्वजनिक हित को बढ़ावा देना एक टिकाऊ विश्व व्यवस्था बनाने का एकमात्र तरीका है।
इस दौरान उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिंगापुर और कोहिमा जैसे पूर्वी देशों में भारतीयों द्वारा किए बलिदान और बहाए गए लहू की भी चर्चा की। उन्होंने डॉ. कोटनिस को याद करते हुए बताया कि वह 1938 में द्वितीय चीन-जापान युद्ध के दौरान चिकित्सीय सहायता के लिए चीन भेजे गए पांच भारतीय चिकित्सकों में शामिल थे।
विदेश मंत्री ने कहा, “हम द्वितीय विश्व युद्ध ( World War II ) के समापन के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र की नींव की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विदेश मंत्रियों की इस विशेष आरआईसी बैठक का स्वागत करते हैं। नाजीवाद और फासीवाद पर जीत तमाम देशों के बलिदानों के जरिये हासिल की गई थी।”
“टोब्रुक, अल-आलमीन, मॉन्टेकैसिनो से लेकर सिंगापुर, कोहिमा और बोर्नियो तक दुनिया के युद्ध के मैदानों में भारतीय रक्त बहाया गया था। हमने आपके दोनों देशों तक आपूर्ति श्रृंखला को जारी रखने में मदद की। इनमें एक फारसी गलियारे के जरिये और दूसरा हिमालय के पार। इसलिए कल, जब हमारे सैन्य टुकड़ी के माध्यम से मार्च होता है, तो यह उस अंतर की पुष्टि होगी जो हमने बनाया था।”
लद्दाख में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के विदेश मंत्री आज करेंगे आमने-सामने चर्चा एस जयशंकर ने कहा कि उस समय की राजनीतिक परिस्थितियों ने भारत को उचित मान्यता नहीं दी थी और यह “ऐतिहासिक अन्याय पिछले 75 वर्षों में दुनिया के बदल जाने पर भी अपरिचित रहा है।” इसलिए इस अवसर पर दुनिया के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वो भारत द्वारा किए गए योगदान और अतीत को सुधारने की आवश्यकता दोनों का अहसास करे।
इससे पहले खबर थी कि बैठक के दौरान जयशंकर की चीन के विदेश मंत्री वैंग ली ( Chinese Foreign Minister Wang Yi ) से चर्चा हो सकती है। गौरतलब है कि सैन्य प्रमुखों के साथ बैठक के एक दिन बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ( rajnath singh russia visit ) तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार रात मास्को पहुंच गए हैं।