आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रपति के प्रति सम्मान में इस गिरावट की शुरुआत जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश (George H. W. Bush) से शुरू हो गई थी जो बराक ओबामा (Barak Obama) और ट्रम्प प्रशासन के दौरान और तेज हो गई। इनकी जीत की दर 65 फीसदी के ऐतिहासिक मापदंड से बहुत नीचे चली गई। बराक ओबामा और डॉनल्ड ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट में रिपब्लिकन नियुक्तियों के चलते स्वाभाविक रूप से बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा। ओबामा प्रशासन का 51 से 54 फीसदी और जॉर्ज डब्ल्यू. बुश प्रशासन के 67 फीसदी की तुलना में रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों द्वारा नियुक्त किए गए जजों ने कुछ हद तक ट्रम्प प्रशासन के पक्ष में निर्णय दिए हैं। लेकिन ट्रंप का कहना है कि रिपब्लिकन और उनके द्वारा नियुक्त जजों ने भी उनके साथ गलत व्यवहार किया है। जस्टिस नील एम. गोर्श्च और ब्रेट एम. कैवानॉघ ने क्रमश: ट्रम्प प्रशासन के पक्ष में 39 फीसदी और 57 फीसदी ही मतदान किया है।
एक सिद्धांत यह है कि ट्रम्प प्रशासन अयोग्य और फिसड्डी है। इसकी बानगी सुप्रीम कोर्ट की तुलना में निचली अदालतों में ट्रंप प्रशासन की जीत के रिकॉर्ड में देखा जा सकता है। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय लॉ स्कूल (School for Law in Newyork University) के अनुसार, निचली अदालतों में ट्रम्प प्रशासन के विरुद्ध केवल 12 फीसदी मामलों में ही कानूनी कार्रवाई हुई बाकी 88 फीसदी मामले अदालतों द्वारा अवरुद्ध या वापस ले लिए गए। एक अन्य अकादमिक अनुसंधान (Academic Research) बताता है कि 1990 के दशक से पहले के राष्ट्रपति, निचली अदालतों में कानूनी मामलों में 60 से 70 फीसदी समय जीते हैं।