बोल्टन लिखते हैं कि ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई अपील को ठुकरा दिया था। ये विचार-विमर्श 18 अप्रैल के आसपास हुआ, और 21 अप्रैल को, संयुक्त राज्य अमरीका ने ईरानी कच्चे तेल की खरीद जारी रखने वाले देशों के लिए माध्यमिक प्रतिबंधों से छूट की समाप्ति की घोषणा की। भारत ईरान से कच्चे तेल का शुद्ध आयातक था, उसे अन्य आपूर्तिकर्ताओं से बातचीत करने को कहा गया।
बोल्टन ने अपनी किताब में कई खुलासे किए हैं। किताब में ऐसे कई मुद्दे उठाए गए है जो ट्रंप की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। चीन को लेकर बोल्टन का मानना है कि ट्रंप दरअसल शी जिनपिंग को सीढ़ी बनाकर दोबारा सत्ता में आने के लिए खेल खेल रहे थे। चीन से ट्रेड वॉर का ऐलान करने वाले ट्रंप दरअसल उससे व्यापार के सहारे ही देश का माहौल अपने पक्ष में रखना चाहते थे। इस साल की शुरुआत में कोरोना वायरस के फैलने के बाद माना जा रहा था कि अमरीका का चीन से बड़ा कोई दुश्मन नहीं होगा। लेकिन एक किताब ने रिलीज से पहले ही डोनाल्ड ट्रंप के इस गुस्से पर सवाल खड़ा कर दिया है।
गौरतलब है कि अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों के बीच पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की लिखी किताब को लेकर बहस शुरू हो गई है। उनकी किताब ‘द रूम वेयर इट हैपेन्ड (The Room Where It Happened: A White House Memoir) का विमोचन होने से पहले इंटरनेट इसका पायरेटेड वर्जन लीक हो गया है। अमरीका के
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की लाख कोशिशें के बावजूद इस किताब के विमोचन की इजाजत मिल गई है। ऐस बताया जा रहा है कि इस किताब के आने से ट्रंप के कई विवादित फैसलों के अंदर की कहानी उजागर हो सकती है। जिससे उनकी छवि को नुकसान होगा।
ट्रंप के निर्णयों पर कटाक्ष करती किताब का पीडीएफ इंटरनेट पर लीक कर दिया गया है। ट्रंप का कहना है कि इस किताब में कुछ बेहद खास गोपनीय जानकारी दी गई है। इससे अमरीका की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। पीडीएफ लीक हो जाने के सवाल पर किताब के पब्लिशर साइमन एंड शूस्टर (Simon & Schuster) के प्रवक्ता एडम रोथबर्ग का कहना है कि यह कॉपीराइट के उल्लंघन का मामला है। हम कानूनी कदम उठाने जा रहे हैं।’ इससे पहले शनिवार को अमरीका के एक संघीय न्यायाधीश ने यह आदेश जारी किया कि जॉन बोल्टन अपनी पुस्तक का विमोचन कर सकते हैं।