प्रथम विश्वयुद्ध के स्मरण समारोह में भाग लेने पेरिस रवाना होने से पहले तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमने खशोगी से जुडी सभी रिकॉर्डिग्स सौंप दी है। हमने इसे सऊदी अरब, अमरीका , जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन को दे दिया हैं।” हालांकि तुर्की राष्ट्रपति ने यह बताने से इंकार कर दिया कि इन रिकॉर्डिंग्स में क्या है। एर्दोगन ने कहा कि तुर्की प्रशासन ने 18 संदिग्ध लोगों की पहचान की है। इनमें 15 वे लोग शामिल हैं, जो खाशोगी की मौत से कुछ समय पहले ही सऊदी अरब से यहां पहुंचे थे। तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन ने एक बार फिर सऊदी अरब से इस बात का जवाब मांगा कि खशोगी और उनके शव का क्या हुआ।
2 अक्टूबर को खशोगी की मौत के बाद उनके हत्या की गुत्थी अभी तक अनसुलझी है। तुर्की ने खशोगी की हत्या के लिए सार्वजनिक तौर पर सऊदी अरब को दोषी नहीं ठहराया है, लेकिन उसने बार-बार इस मामले में सऊदी अरब का हाथ होने की बात कही है।उल्लेखनीय है कि सऊदी प्रशासन प्रारंभ में खशोगी के बारे में किसी तरह की जानकारी होने से इंकार कर रहा था, लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया कि वाणिज्य दूतावास में एक झगड़े में खशोगी मारे गए। खशोगी की मौत कैसे हुई, इसे लेकर अब तक सस्पेंस बना हुआ है। शुरुआत में तुर्की मीडिया ने एक सूत्र के हवाले से दावा किया था कि तुर्की के पास ऐसी ऑडियो टेप है जिससे साबित होता है कि हत्या के पहले खशोगी को टार्चर किया गया था। खशोगी पत्रकार और लेखक थे। वो दशकों तक सऊदी अरब के शाही परिवार के करीबी थे और सऊदी सरकार के सलाहकार भी रह चुके थे। शाही परिवार से दूरी होने के बाद वो बीते साल अमरीका चले गए थे और निर्वासित जीवन बिता रहे थे।