गौरतलब है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुुनिया भर के वैज्ञानिक प्रभावी दवा तैयार करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। महामारी से संघर्ष के लिए वैज्ञानिक वैक्सीन व प्रभावी दवा का इंतजाम कर रहे हैं। इसके मुकाबले में अब ब्रिटेन शामिल हो गया है। सोमवार को ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इंपीरियल द्वारा विकसित वैक्सीन का ट्रायल 300 सेहतमंद लोगों पर किया जाएगा। इस दवा की मदद से इन्हें इम्यूनाइज कर दिया जाएगा। इसके लिए इंपीरियल को सरकार से भी समर्थन प्राप्त हो रहा है। सरकार ने संस्था को 41 मिलियन पाउंड की मदद दी है।
अब तक इस दवा को जानवरों पर टेस्ट किया जा रहा था। इस दवा की खुराक को देते ही एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। वैक्सीन को तैयार करे में जैनेटिक कोड का इस्तेमाल होता है। मांसपेशियों में दवा जाने के बाद कोशिकाएं कोरोना वायरस पर स्पाइकी प्रोटीन (spiky protein) बनाने लगती हैं। इससे शरीर में इम्यून विकसित होता है, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने हाल में इस पर शोध शुरू कर दिया हैं। इममें दस हजार वॉलंटियर्स शमिल है। कोरोना से लड़ने के लिए इस दवा की बड़ी तेजी से खोज की गई है। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड्स और अमरीका समेत कई देशों ने इस दवा के लिए एडवांस बुकिंग शुरू कर दी है। यह दवा इस साल के अंत तक आने की उम्मीद है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने सोमवार को बताया कि बीते दो सप्ताह से रोजना करीब एक लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि कई देशों में अभी भी सख्त प्रतिबंध नहीं लगे हैं।