एन सेल्स ने मुंबई हमले की बरसी पर अमरीका की तरफ से आतंकवाद विरोधी भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, “मैं भारत और मुंबई के लोगों के साथ अमरीका एकजुटता व्यक्त करना चाहता हूं। आज का दिन एक गंभीर अनुस्मारक है। यदि एक देश आतंकवाद से पीड़ित है तो हम सभी पीड़ित हैं। मुंबई हमले को भारत में अंजाम जरूर दिया गया था लेकिन आतंकवादियों ने कई राष्ट्रों का खून बहाया।” मुंबई पुलिस की तारीफ करते हुए सेल्स ने कहा कि आज के दिन हम मुंबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे को याद करते हैं। हमें अशोक कामटे और विजय सलास्कर भी याद हैं, जिन्होंने शहर को आतंकियों से बचने में बड़ा योगदान दिया है।
अमरीका ने मुंबई हमलों के लिए एक बार फिर संवेदना व्यक्त करते हुए भारत के साथ इस मामले में पूर्ण सहयोग का वादा किया है। टॉप अमरीकी आतंकवाद विरोधी अधिकारी एन सेल्स ने 10 साल पहले हुए मुंबई हमलों को याद करते हुए कहा है कि इस हमले में भारत सबसे भयानक आतंकवादी हमलों में से एक का शिकार हो गया। हम उन लोगों का सम्मान करते हैं जिन्हें हमने खो दिया। एन सेल्स ने कहा कि भविष्य में इस तरह के अत्याचारों को रोकने के लिए अमरीका भारत के साथ खड़ा है।
सेल्स ने मुम्बई हमले में मारे गए नागरिकों के प्रति अपनी संवेदना जाहिर करते हुए कहा कि हमारे नागरिक एक साथ मर गए और अब हमें आतंकवाद के इस संकट को समाप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। हमें उन आतंकवादियों को रोकना चाहिए जिन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के माध्यम से भारत के आतंक का खूनी खेल खेला। पिछले 10 वर्षों में हमने बहुत प्रगति की हैं लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी हैं। सेल्स ने कहा कि मुंबई में हमले के तुरंत बाद अमरीका ने यह सुनिश्चित किया कि दुनिया के सामने लश्कर-ए-तैयबा का वह चेहरा उजागर हो, जैसा वास्तव में हैं। हमने संयुक्त राष्ट्र में प्रमुख लश्कर आतंकियों को नामित करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम किया हैं।
सेल्स ने कहा कि अमरीका सभी देशों, विशेष रूप से पाकिस्तान को अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए कहता आया हैं। पाकिस्तान के हाथ से वक्त तेजी से फिसल रहा है और यह बहुत मुश्किल है कि अब वह अधिक दिनों तक बिना किसी कार्रवाई से बच पाएगा। सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकृत आतंकवादी समूह (एलईटी) और इसके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को कायम रखना होगा। सेल्स ने दोहराया कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में अमरीका और भारत एक साथ बंधे हैं और ये बंधन आतंकवाद से नहीं बिखरेगा।