जिस दिन उनकी बेटी मी का अपहरण हुआ वो काम से बाजार गई हुई थीं। डो और उनके परिवार को सिर्फ इतना ही पता चल पाया कि दुकान से सामान लेकर लौटते वक्त दो आदमी उसके पीछे थे। कुछ वक्त बाद पता चला कि मी उत्तरी वियतनाम के हा गियांग में है, लेकिन जब तक वे वहां पहुंचे वो वहां से जा चुकी थी। आस-पास के लोगों ने इतना जरूर बताया कि हो सकता है कि उनकी बेटी को यहां से चीन ले जाया गया हो, जहां शायद उसे किसी को बेच दिया जाए।
मी के पैतृक घर की दीवारों पर आज भी उनकी तस्वीरें टंगी हुई हैं। मी अकेली नहीं, जिनका अपहरण हुआ। इसी इलाके से तीन और लड़कियां अगवा की गईं। यहां माओं को दिन रात एक ही चिंता खाती रहती हैं कि अगर ये घटनाएं रुकीं नहीं तो कहीं उनकी बेटी उनसे दूर न हो जाए। सरकारी आंकड़ों की मानें तो जनवरी 2017 से मार्च 2017 तक अपहरण के करीब 300 मामले सामने आए हैं। जबकि चाइल्ड हेल्पलाइन का दावा है कि बीते तीन सालों में उनके पास ट्रैफिकिंग से जुड़े करीब 8000 फोन कॉल आ चुके हैं। यहां के लोग अब जागरूक हो गए हैं साथ ही साथ सरकार पर भी दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अगवा लड़कियों को खोजकर वापस लाया जा सके और उनके परिवारों को इंसाफ मिल सके।