earthquake in jodhpur, Earthquake, tectonic plates, earthquake in india, jodhpur news
नई दिल्ली। दुनिया भर में भूकंप और इससे होने वाले जान-माल के नुकसान की खबरें अक्सर आपके सामने भी आती रहती होंगी। अचानक पृथ्वी की सतह हिलने लगती है और तेजी से कंपन होता है, जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है और घरों के भीतर रखा सामान या फिर घर-इमारत गिरने-ढहने लगती हैं। खुशकिस्मत हुए तो जान बच जाती है नहीं तो… लेकिन भूकंप क्या होते हैं और यह क्यों आते हैं, आपने कभी जानने की कोशिश की है। जानिए भूकंप से जुड़े अपने सवालों के जवाब।
भूकंप क्या होता है? जब पृथ्वी की सतह पर मौजूद दो बड़े हिस्से अचानक एक-दूसरे से अलग हट जाते हैं या फिर टूट-फिसल जाते हैं तब भूकंप आता है। जिस जगह यह हिस्से एक-दूसरे से अलग होते हैं उसे फॉल्ट या फॉल्ट प्लेन कहा जाता है। पृथ्वी की सतह के नीचे जहां से भूकंप चालू होता है उसे हाइपोसेंटर कहते हैं जबकि इस हिस्से के बिल्कुल ऊपर पृथ्वी की सतह पर मौजूद हिस्से को एपीसेंटर कहते हैं।
कई बार भूकंप आने से पहले कुछ झटके (फोरशॉक्स) लगते हैं। यह बड़ा भूकंप आने की चेतावनी देने वाले झटके होते हैं जो ठीक उसी जगह पहले आने लगते हैं जहां पर बड़ा झटका आने वाला होता है। हालांकि वैज्ञानिक जब तक बड़ा भूकंप नहीं आ जाता, उससे पहले यह नहीं बता सकते हैं कि इससे पहले आने वाले हल्के झटके (फोरशॉक्स) इसी की ओर ईशारा कर रहे थे।
सबसे बड़े भूकंप को मेनशॉक कहा जाता है। जब भी बड़ा भूकंप आता है तो इसके बाद ऑफ्टरशॉक्स जरूर आते हैं। यह बड़े भूकंप के बाद उसी स्थान पर आने वाले हल्के झटके होते हैं। बड़े भूकंप की तीव्रता के आधार पर ही आफ्टरशॉक्स कुछ हफ्तों, महीनों या फिर सालों तक आते हैं।
क्या होती है भूकंप की वजह और यह क्यों आते हैं? पृथ्वी की चार प्रमुख पर्ते हैं। इनमें इनर कोर, आउटर कोर, मैंटल और क्रस्ट शामिल हैं। क्रस्ट और मैंटल का ऊपरी हिस्सा हमारे गृह की सबसे ऊपरी पतली पर्त बनाता है। लेकिन यह पर्त केवल एक हिस्सा नहीं होता बल्कि कई छोटी-छोटी पर्तों से बना होता है। यह पर्ते किसी पहेली जैसी होती हैं और धीमे-धीमे घूमती रहती हैं। यह पर्तें एक-दूसरे के ऊपर घूमती हैं और टकराती रहती हैं।
इन घूमती पर्तों को टेक्टॉनिक प्लेट कहा जाता है और इन प्लेटों के किनारों को प्लेट बाउंड्री कहते हैं। यह प्लेट बाउंड्री कई फॉल्ट्स से मिलकर बनी होती हैं और दुनिया भर में आने वाले ज्यादातर भूकंप की वजह यही फॉल्ट्स होते हैं। चूंकि इन प्लेट्स के किनारे असमान या ऊबड़-खाबड़ होते हैं, तो कभी-कभार यह अन्य घूमती प्लेटों से फंस जाते हैं। अंत में जब प्लेट काफी ज्यादा घूम चुकी होती है, तो इसके किनारे फॉल्ट्स से अलग हो जाते हैं और इनके अलग होना भूकंप की वजह बनता है।
जब भूकंप आता है तो पृथ्वी क्यों हिलती है? दरअसल फॉल्ट्स के किनारे फंसे होते हैं लेकिन बाकी का हिस्सा घूम रहा होता है, इसलिए एक-दूसरे के ऊपर घूमने के लिए इस्तेमाल में आने वाली ऊर्जा इकट्ठा हो जाती है। जब इन घूमते हिस्सों का बल, फॉल्ट्स से फंसे किनारों को हटाने में लगने वाले घर्षण से ज्यादा हो जाता है, तब सारी इकट्ठा ऊर्जा एक साथ बाहर निकलती है।
यह ऊर्जा फॉल्ट्स से सभी दिशाओं में सीस्मिक वेव्स (सीस्मिक तरंगों) के रूप में बाहर की ओर निकलती है जो किसी शांत तालाब में पत्थर मारने पर उठने वाली लहरों की तरह होती हैं। जैसे-जैसे यह सीस्मिक तरंगें आगे बढ़ती हैं, पृथ्वी को हिला देती हैं और जब यह तंरगें पृथ्वी की सतह पर पहुंचती हैं, तो यह मैदान-पहाड़ या इनके ऊपर बनी किसी भी चीज जैसे घर-इमारत आदि को हिला देती हैं।
क्या वैज्ञानिक भूकंप की भविष्यवाणी कर सकते हैं? नहीं, और शायद ही कभी ऐसा संभव हो कि वे इसकी भविष्यवाणी कर सकें। वैज्ञानिकों ने भूकंप की भविष्यवाणी करने के तमाम तरीके अपनाने की कोशिश की लेकिन कोई भी कारगर साबित नहीं हुआ। किसी निर्धारित फॉल्ट को लेकर तो वैज्ञानिक यह बता सकते हैं कि भविष्य में भूकंप आएगा, लेकिन उनके पास यह कब आएगा, बताने का कोई तरीका नहीं है।
भूकंप की अन्य वजह क्या हैं? भूकंप की ही तरह की सीस्मिक तरंगें भूमिगत विस्फोटों से भी निकल सकती हैं। यह विस्फोट किसी सुरंग, रेलमार्ग, सबवे या खान बनाने के दौरान चट्टान तोड़ने में हो सकते हैं। हालांकि यह विस्फोट बहुत तीव्र सीस्मिक तरंगें पैदा नहीं करते। कई बार तो यह आपको महसूस भी नहीं होतीं। कई बार किसी खदान की सतह या पूरी खदान के ढहने से भी यह तरंगें पैदा हो जाती है। इस दौरान खदान के आसपास रहने वाले लोगों को यह महसूस होती हैं। हां, किसी नाभिकीय बम (न्यूक्लियर बम) के भूमिगत परीक्षण के दौरान ही सबसे ज्यादा तीव्रता वाली तरंगें पैदा हो सकती हैं जो किसी बड़े भूकंप जैसी होती हैं। कभी-कभी ज्वालामुखी के फटने से भी भूकंप आता है।