ज्यादा जनसंख्या का होगा नुकसान अपनी रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक ने कहा कि साउथ एशिया में बाकी दुनिया के मुकाबले जनसंख्या घनत्व काफी अधिक है। खासकर शहरी क्षेत्रों में यह और ज्यादा है। ऐसे में कोरोना वायरस को फैलने से रोकना काफी बड़ी समस्या होगी। रिपोर्ट में भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान का नाम लेकर कहा गया है कि यहां लॉकडाउन के बाद प्रवासी लोगों में अपने घर जाने की होड़ मची। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सका।
कोरोना घर ले जा रहे मजदूर विश्व बैंक ने रविवार को जारी अपनी ‘दक्षिण एशिया आर्थिक अपडेट: कोविड-19 का प्रभाव’ रिपोर्ट में कहा कि प्रवासी मजदूरों का हुजूम अन्य राज्यों एवं गांवों में कोरोना वायरस को आसानी से रोगवाहक बना सकता है। इसमें कहा गया कि दक्षिण एशिया के लिए एक छोटी सी राहत यह है कि यहां 65 साल से ज्यादा की आबादी अमरीका और चीन की तुलना में कम है जो मृत्यु दर को भी सीमित करती है।
मजदूरों के पास कोई विकल्प नहीं बैंक ने कहा कि लॉकडाउन की नीतियों ने पूरे उपमहाद्वीप में करोड़ों प्रवासियों को प्रभावित किया है। जिनमें से अधिकतर दिहाड़ी मजदूर हैं और शहरी केंद्रों में उनके पास काम नहीं बचा है जिसके चलते वे अपने ग्रामीण घरों की ओर सामूहिक पलायन कर रहे हैं। अक्सर पैदल ही। इसमें कहा गया प्रवासी मजदूरों के पास लंबे समय तक बिना काम के शहरों में संभवत: भूखे रहने और सैकड़ों मील दूर अपने गृह जिलों को लौटने के लिए जानलेवा यात्रा पर निकलने के बीच किसी एक को चुनने का बेहद कठोर विकल्प है।