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मुरादाबाद

अवैध खनन पर चला हाईकोर्ट का हंटर, रामपुर के डीएम रहे 2 IAS निलंबित

हाईकोर्ट ने तत्कालीन खनन अधिकारी, पुलिस चौकी प्रभारी समेत 15 अफसरों पर जांच बैठा दी है। जिसको लेकर 16 जनवरी 2018 को मामले की अगली सुनवाई होगी।

मुरादाबादDec 14, 2017 / 08:27 pm

Rahul Chauhan

Allahabad High court
रामपुर। अवैध खनन को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती जारी है। गुरुवार को अवैध खनन के एक मामले में सपा सरकार में रामपुर के डीएम रहे राजीव रौतेला और राकेश कुमार सिंह प्रदेश को निलंबित कर दिया। दोनों पर रामपुर में जिलाधिकारी रहने के दौरान खनन माफिया को संरक्षण देने के आरोपों की जांच चल रही थी। आपको बता दें कि इस समय राजीव रौतेला गोरखपुर तो राकेश कुमार सिंह कानपुर देहात के डीएम थे। सपा सरकार के दौरान इन दोनों को सपा के कद्दावर नेता आजम खान का बेहद करीबी माना जाता था।
दरअसल रामपुर जिले की तहसील स्वार टांडा के दण्डियाल में अवैध खनन को लेकर मकसूद नाम के शख्स ने ज़िला अधिकारी से लेकर खनन अधिकारी के यहां शिकायत की थी। लेकिन अफसरों ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पीड़ित मकसूद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट कोर्ट ने डीएम राकेश सिंह और राजीव रौतेला को फटकार लगाते हुए सस्पेंड कर दिया।वहीं इस मामले में तत्कालीन खनन अधिकारी, पुलिस चौकी प्रभारी समेत 15 अफसरों पर जांच बैठा दी है। जिसको लेकर 16 जनवरी 2018 को मामले की अगली सुनवाई होगी। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले व जस्टिस एम के गुप्ता की खण्डपीठ ने मकसूद की जनहित याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि रामपुर में नन्हे को बालू स्टोरेज का लाइसेंस दिया गया, जबकि 2015 में ही हाईकोर्ट ने अवैध खनन की जांच करने व दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया था। कोर्ट के सख्त आदेश की अनदेखी की गई और जांच न कर मामले पर पर्दा डाला गया। दागी ठेकेदार को अवैध तरीके से स्टोरेज लाइसेंस दे दिया गया। इसपर दोबारा याचिका दायर कर शिकायत की गई। इसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रामपुर के तत्कालीन दो जिलाधिकारियों राजीव रौतेला व् राकेश कुमार सिंह को निलंबित कर कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है।
दरअसल, हाईकोर्ट ने मामले में डीएम रामपुर शिव सहाय अवस्थी को तलब किया और पूछा कि दागी ठेकेदार को स्टोरेज का लाइसेंस कैसे दे दिया। डीएम ने 16 जुलाई 2016 को दिए गए लाइसेंस को नवम्बर 2017 में निरस्त कर दिया। 2015 में एक माह में जांच के आदेश की अनदेखी कर सरकार ने दोषियों को बचाने का प्रयास किया। इतना ही नही स्टोरेज लाइसेंस दे दिया, जिसकी आड़ में अवैध खनन का धंधा पुलिस अधिकारियों की नाक के नीचे चलता रहा। प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने आंखे बंद कर लीं। अधिकारियो की शह पर चल रहे अवैध खनन के जिम्मेदार दो जिलाधिकारियों पर हाई कोर्ट का चाबुक चला है।
Illegal Mining
ये है मामला
दरअसल पूर्व की सरकार में ज़िले की तहसील स्वार टांडा के दण्डियाल में अवैध खनन को लेकर मकसूद नामक व्यक्ति ने खनन अधिकारी से लेकर ज़िला अधिकारी तक शिकायत की थी। लेकिन अफसरों ने उसकी शिकायत को नज़र अंदाज़ करते हुए शिक़ायत पर कोई एक्शन नहीं लिया। इसके बाद पीड़ित मकसूद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट में जब सुनबाई हुई तो कोर्ट ने डीएम राकेश सिंह और राजीव रौतेला को फटकार लगाते हुए सस्पेंड कर दिया। वहीं इस मामले में तत्कालीन खनन अधिकारी, पुलिस चौकी प्रभारी समेत 15 अफसरों पर जांच बैठा दी है। जिसको लेकर 16 जनवरी 2018 को मामले की अगली सुनवाई होगी।
कौन है मकसूद
बता दें कि पीड़ित मकसूद दण्डियाल के रहने वाले हैं, जिनकी जमीन पर लंबे समय से अवैध खनन हो रहा था। इसी को लेकर पीड़ित ने कई बार आवाज भी उठाई। लेकिन माफियाओं ने पीड़ित पर फायरिंग करवा कर उसे घायल कर दिया। जिसके बाद पीड़ित कई दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा और इलाज़ के बाद अफसरों से फिर शिकायतें की। लेकिन उसकी शिकायतों से प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। लेकिन मकसूद ने हिम्मत नहीं हारी और वो हाईकोर्ट से उम्मीद लगाकर केस की पैरवी करने जा पहुंचा। जहां से पीड़ित मकसूद को हाईकोर्ट के फैसले से जीत मिली।

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