आजम खान ने आगे कहा, मैंनें तो पहले ही इस बात का समर्थन करता हूं कि गुलामी की तमाम निशानियों को मिटा देना चाहिए। वैसे सारे निशानियों को हटाना चाहिए जिसमें से कल के शासकों की बू आती हो। आज़म खान ने कहा, मैंने तो पहले ही कहा था कि सिर्फ ताजमहल ही क्यों दिल्ली के संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, कुतुबमीनार, लाल किला और आगरा का सिर्फ ताजमहल ही क्यों लाल किला ये सब गुलामी की निशानियां है। इनको भी तुड़वा देना चाहिए। अगर पीएम मोदी और सीएम योगी इनको तोड़ने जाएंगे तो मैं इनके साथ जरूर जाउंगा।
उन्होंने आगे कहा कि मुगल हिंदुस्तान पर काबिज हुए, वो किन हालात में आए, कौन लेकर आया, अगर इसपर बात होगी तो बहस ही होगा और लोगों में सिर्फ कड़वाहट ही आएगी और अगर मैं ज्यादा बोल गया तो लोगों को बुरा भी लग जाएगा, इसलिए हम वो बात करना ही नहीं चाहते हैं। हमने तो बड़े बादशाह( पीएम मोदी) और छोटे बादशाह ( सीएम योगी ) से अपील भी की है कि आप अगर इन निशानियों को तोड़ने जाएंगे तो मैं साथ चलकर उनकी मदद करूंगा। पहला फावड़ा आप मारना दूसरा हमारा होगा। लेकिन मैं समझाता हूं कि ये राजनीतिक कमजोरी है, ये तो कहने के बाद भी कदम पीछे हटा लेंगे, जो गुलामी की निशानी कह रहे हैं। उनका पूरे देश पर राज है, इस वक्त कब्जा है, अगर वो हिम्मत नहीं कर रहे तो इसे राजनैतिक कमजोरी ही कहेंगे।
आपको बतादें कि संगीत सोम के बयान प्रतिक्रिया देते हुए एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी कहा कि क्या पीएम मोदी लाल किले पर राष्ट्रीय झंडा फहराना बंद करेंगे। हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि जिसने संविधान की शपथ ली है, वह अहंकार और अज्ञानता से बात कर रहा है। इस विवाद पर
ममता बनर्जी , सुब्रमण्यम स्वामी ने भी पलटवार किया है।