जी हां सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा है, लेकिन यही सच है। अब गंदा होने पर कंबल खुद बोलेगा- मैं हो गया गंदा। दरअसल उत्तर रेलवे कई मंडलों के ट्रोनों में दिए जाने वाले कंबलों में यह व्यवस्था लागू करने की तैयारी में है। कंबलों में इलेक्ट्रानिक टैगिंग लगाई जाएगी। कंबल की ऑनलाइन मॉनीटरिंग का फैसला किया।
दरअसल जिस तरह बड़े शॉपिंग मॉल में कंबलों की टैगिंग की जाती है, उसी तरह रेलवे के कंबलों में भी एक बार कोड होगा। जो धुलाई के बाद स्कैनर से स्कैन कर उसका डाटा कंप्यूटर में फीड किया जाएगा। इसके साथ ही हर बार धुलाई के समय हर एक कंबल का एक आइडी नंबर बनाया जाएगा। जो कंबल के साथ कंप्यूटर पर भी दर्ज करना होगा। हर 15 दिन पूरा होने पर कंबल लांड्री में लाना होगा धुलने के लिए और ऐसा नहीं करने पर 16वें दिन कंप्यूटर पर एक अलार्म बजेगा। जिससे यह पता चलेगा कि कौन सा कंबल 15 दिन बाद भी नहीं धुला गया है। इतना ही नहीं उस बार कोड नंबर से कंबल किस ट्रेन में है यह पता चल जाएगा।
हालाकि इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि अगर कंबल 15 दिन से पहले गंदा होगा तो कोच अटेंडेंट उसे निकालकर लांड्री में भेजेगा। इसके बाद इसका उसी दिन नया बार कोड जेनरेट कर दिया जाएगा अगले 15 दिन के लिए।
रेलवे इसकी निगरानी के लिए भी तैयारी कर ली है, माना जा रहा है कि निजी एजेंसी की मदद से ऑनलाइन मॉनीटरिंग का सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम बनवाएगा। इसे कैरिज व वैगन अनुभाग के कर्मचारी नियंत्रित करेंगे। वहीं रेलवे की यह व्यवस्था अगर लागू होता है तो माना जा रहा है कि इसके चोरी होने और गंदगी को लेकर यात्रियों की शिकायतें कम होंगी।