खास बात यह है कि दो महीने पहले राज्य के मुख्य सचिव ने शेष राशि राजकोष में जमा कराने के निर्देश दिए थे लेकिन इसके बावजूद निकायों ने बची राशि का हिसाब नहीं दिया है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से बीपीएल एवं समकक्ष परिवारों को दो साड़ी एवं एक कम्बल उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2013 में शहरी निकायों को 91 करोड़ 60 लाख रुपए दिए गए थे।
निकायों ने अभी तक 45.43 करोड़ रुपए के उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजे हैं। इसके अलावा मात्र 7.29 करोड़ रुपए राजकोष में जमा कराए गए हैं। एेसे में 38.88 करोड़ रुपए का आज तक हिसाब नहीं बताया गया है। इसे देखते हुए स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक पवन अरोड़ा ने नोटिस जारी कर हिदायत दी है कि शेष राशि का या तो उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजें या बची हुई राशि शीघ्र राजकोष में जमा कराएं।
अजमेर का यह है हाल अजमेर नगर निगम को 2,80,18, 585 रुपए जारी किए गए। इसमें से 1,77,75,405 का ही उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजा गया जबकि शेष 1,02,43,180 रुपए का हिसाब नहीं दिया गया।
ब्यावर के लिए 57,41,575 रुपए में से 10,90,075 रुपए का हिसाब बताना है। किशनगढ़ नगर परिषद से 74,07,610 में से 14,04,610 का हिसाब मांगा गया है। केकड़ी नगर पालिका को 23,64,355 में से 13,855 रुपए का हिसाब देना है।
पुष्कर, सरवाड़, विजयनगर पालिका का भी हिसाब बाकी है। कई और निकायों से मांगा हिसाब जयपुर, भीलवाड़ा, आसीन्द, गंगापुर, गुलाबपुरा, जहाजपुर, मांडलगढ़, नागौर व डीडवाना सहित प्रदेश के कई नगर निकायों से भी शेष राशि का हिसाब मांगा गया है।
इनका कहना है…राज्य सरकार का पत्र प्राप्त हुआ है। यह वर्ष 2013 का प्रकरण है। पत्र का परीक्षण करवाकर राज्य सरकार के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी। -प्रियंवत पाण्डेय, आयुक्त नगर निगम अजमेर