गौरतलह है कि जनपद में 1200 प्राइमरी और 550 जूनियर हाई स्कूल हैं। इन स्कूलों में बच्चों की संख्या डेढ़ से पौने दो लाख के करीब हैं। दरअसल, योगी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद यूपी के प्राइमरी स्कूलों का कायाकल्प करने के साथ ही इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सभी जरूरी सामान मुहैया कराने का वादा किया था। इसी वादे के तहत इस सत्र से सरकार ने बच्चों को स्वेटर भी उपलब्ध कराने का वादा किया था। इसके लिए पहले यूपी सरकार ने प्रत्येक जिले को खुद ही स्वेटर खरीदने की जिम्मेदारी दी थी। इस पर अमल करते हुए स्कूलों ने अपने प्रपोजल जब शासन को भेजे तो उसमें दाम को लेकर काफी भिन्नताएं थी। सरकार एक स्वेटर पर 200 रुपए से ज्यादा खर्च करने को तैयार नहीं थी। लेकिन, कई स्कूलों के प्रपोजल में यह दाम काफी ऊंचा था। इसके बाद सरकार ने खुद ई-टेंडरिंग के जरिए स्कूलों में स्वेटर मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू की। इसके लिए 20 दिसंबर 2017 की डेडलाइन तय की गई। लेकिन, इस पर कोई काम नहीं हो सका। बाद में सरकार ने 25 दिसंबर 2017 की दूसरी डेडलाइन तय की। अफसोस कि इस बार भी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई, जिससे स्वेटर की खरीदारी का काम अटक गया, जिसका खामियाजा मासूम बच्चे भुगत रहे हैं। अब एक बार फिर से सरकार ने 3 जनवरी 2018 को एक आदेश जारी कर जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी को स्वेटर बांटने के आदेश दिए हैं। लेकिन, अभी तक किसी स्कूल में बच्चों को स्वेटर बांटा नहीं जा सका है।
स्थानीय शिक्षकों ने की बजट बढ़ाने की मांग
इस मौसम में बच्चों को स्वेटर मिल भी पाएगा या नहीं यह भी कहना अभी मुश्किल लग रहा है। एक तरफ सरकार प्रति स्वेटर 200 रुपए से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। वहीं, स्थानीय शिक्षकों का कहना है कि शासन से स्तर से स्वेटर के लिए जो राशि तय की गई है। वह काफी कम है। शिक्षकों का कहना है कि इतने कम पैसे में अच्छी क्वालिटी का स्वेटर मिलना मुश्किल है। इसलिए सरकार को बजट बढ़ाना चाहिए।