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यह हैं अफ़रोज़ अली खान और रेशमा अफ़रोज़
अफ़रोज़ अली खान रामपुर नगर विधानसभा से एक बार विधायक रहें हैं। चार बार विधानसभा चुनाव में उनका आजम खान से सीधा मुकाबला हुआ। दो बार उनकी पत्नी नगर पालिका अध्य्क्ष रहीं है । राजनीत में जहां-जहां उनके पति गए हैं। वहां वह भी उनके साथ गई। अफ़रोज़ अली खान की पत्नी एक बार सीधे आज़म खान साहब से लड़ने के लिए विधान सभा चुनाव में अमर सिंह की पार्टी लोकमंच से भी कूदी थी, लेकिन आज़म खान के सामने उनको हारना पड़ा ।
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अफ़रोज़ अली खान का चुनावी कार्येकाल
अफ़रोज़ अली खान पहली बार 1984 में चुनाव लड़े , जिसमें उनका सीधा मुलाबला आज़म खान से हुआ था। इस चुनाव में आजम ने उन्हें हरा दिया। इसके बाद अफ़रोज़ दूसरी बार 1984 में आज़म खान से लड़े, लेकिन फिर हरना पड़ा। उसके बाद 1991 और 93 में चुनाव लड़े। इसमें भी उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा। हलांकि, 1996 में आज़म खान को अफ़रोज़ अली खान ने हरा दिया, लेकिन उसके बाद से अब तक आज़म खान अपनी इस सीट पर काबिज हैं ।
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दल बदलू हैं रेशमा अफ़रोज़
अब बजह चाहे जो भी बताएं, लेकिन अफ़रोज़ बड़े दलबदलू हैं। वे सपा, बसपा और कांग्रेस के अलावा निर्दलीय भी चुनाब लड़ चुके हैं। हालाकिं, इन्हें जीत सिर्फ एक बार ही मिली। बाकी हर बार इनको हार का सामना करना पड़ा। इनकी पत्नी जरूर दो साल के लिए नगर पालिका अध्यक्ष रहीं है।
सपा नेता आज़म खान पर किए हैं तीखे वार
कई बार चुनाव में सपा के दिग्गज नेता आज़म खान पर रेशमा अफ़रोज़ ने जमकर चलाई जुबान तीर और फिर राजनीतिक मलाई चाटकर फिर आंखे दिखा दी। सपा से स्तीफा देने के बाद उन्होंन कह दिया कि आज़म खान वादे के पक्के नही हैं। उन्होंने जो वादे किए उन वादों के साथ पक्के नहीं रहे और न ही उन्होंने वह परिणाम दिया, जिसको लेकर हमने इस्तीफा दिया । आज़म खान का बेटा विधायक, पत्नी सांसद और खुद विधायक हैं। बाकी लोगों को उन्होंने कहीं कोई जगह नहीं दी और न ही देने की कोई उम्मीद है। इसी के आधार पर हमने पार्टी छोड़ दी । अफ़रोज़ ने आज़म पर हिटलर बनने का भी आरोप लगाया। उन्होंने लोगों की जमीनों पर कब्जे किए हैं। अपने पद का दुरुपयोग किया। रामपुर ही ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की जनता को ठगा है। आगामी चुनाव में यही सब मुद्दों को लेकर हम जनता के बीच जाएंगे ।