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जून में निकाला था टेंडर
यहां बता दें कि नगर निगम की टीम ने नसबंदी कराने का टेंडर जून माह में निकाला था। प्यूपिल फॉर एनीमल(पीएफए) की अध्यक्ष मेनका गांधी से मंजूरी मिलने के बाद नसबंदी की प्रक्रिया अब शुरू हुई है। जिस कारण अब खूंखार कुत्तों से राहत मिलने की उम्मीद है। आपरेशन करने वाली पार्थ फाउंडेशन ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी का दावा है कि नसबंदी के बाद कुत्तों के व्यवहार में बदलाव आएगा। उनमें हमला करने की शक्ति नहीं रहेगी वहीं इनकी जनसंख्या वृद्धि भी नहीं होगी।
40 हजार हैं कुत्ते
आंकड़ों के अनुसार महानगर में 40 हजार आवारा कुत्ते हैं। शुरूआत में नगर निगम का 500 कुत्तों की नसबंदी करने का करार संस्था से हुआ है। संस्था ने इन कुत्तों की नसबंदी ठीक से कर दी तो दूसरे चरण में और कुत्तों की नसबंदी कराई जाएगी। प्रति कुत्ता नसबंदी शुल्क 800 रुपये संस्था ने नगर निगम से तय किया है। इसमें चिकित्सकों का शुल्क, आवारा कुत्तों का भोजन व ट्रांसपोर्टेशन शुल्क निर्धारित है। संस्था के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने बताया कि सुबह पहले कुत्तों को पकड़ा गया। दोपहर को आवारा कुत्तों की नसबंदी हुई और शाम को लिक्विड भोजन दिया गया। 20 दिन में 500 कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य रखा गया है। डॉ.सतेंद्र सिंह, डॉ.सोनू यादव, डॉ.अमित ने आपरेशन किए।
मिलेगा दूध चिकेन
नसबंदी होने के बाद कुत्तों को तीन से चार दिन तक केनल में रखा जाएगा। इन्हें सुबह नाश्ते में दूध व ब्रेड, दोपहर को चिकन व चावल और शाम को दूध दिया जाएगा। आवारा कुत्तों को पकड़कर पहले केनल में रखा जा रहा है। इसके लिए 32 केनल बनाए गए हैं और आपरेशन रूम में एसी व फ्रिज की व्यवस्था की गई है ताकि दुर्गध न फैले और गर्मी से दवाएं खराब न हों।
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पहले चरण में 500 की होगी नसबंदी
नगर आयुक्त ने अवनीश कुमार शर्मा ने बताया कि संस्था ने कुत्तों की नसबंदी शुरू कर दी है। पहले चरण में 500 कुत्तों की नसबंदी होगी अगर संस्था की रिपोर्ट सही मिली तो आगे इन्हें काम करने दिया जाएगा।