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मुरादाबाद

Teacher day special: बेटे की याद में रिटायर्ड रेल कर्मी बना शिक्षक, पढ़ा रहा गरीब बेसहारा बच्चों को

आखिर क्यों गरीब बेसहारा बच्चों के लिए रिटायर्ड रेल कर्मी बना शिक्षक, जबकि ना तो इनके पास कोई औपचारिक डिग्री है और ना ही कोई ट्रेनिंग ली है।
 
 

मुरादाबादSep 05, 2017 / 10:39 am

pallavi kumari

Teacher day special

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मुरादाबाद. शिक्षक दिवस पर यूं तो आपने कई गुरुओं की कहानी सुनी होगी, और उन्हें नमन कर अपने आप को धन्य समझ रहे होंगे। वाकई अगर माता-पिता के बाद समाज में कोई उनके समान है तो वो है गुरु। कहते हैं कि बिन गुरु ज्ञान संभव नहीं, लेकिन आज हम ऐसे गुरु से मिलाने जा रहे हैं जिन्होंने शिक्षक की कोई औपचारिक डिग्री नहीं ली बस एक दर्द ने उन्हें गरीब बेसहारा बच्चों के दर्द को दूर करने का सपना दे दिया।
आज इसी सपने को लेकर वो अपना पूरा जीवन अर्पण कर रहे हैं। जी हां, वाकई इस गुरु की कहानी जान आपकी आंखें भी नम हो जाएगी। राज नारायण दीक्षित 67 साल के हैं। ये रेलवे से 2010 में रिटायर्ड हुए । राज नारायण दीक्षित अब अनजान गरीब बेसहारा बच्चों में ज्ञान का दीपक जला रहे हैं।
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दरअसल राज नारायण दीक्षित का एक बेटा रमन और बेटी का भरा-पूरा परिवार था। दोनों ही शादीशुदा अपने अपने परिवार में खुश थे। राज नारायण का बेटा रमन भी शिक्षक था और पढ़ाई से उसे बड़ा लगाव था, लेकिन 2013 में केदारनाथ में आई त्रासदी ने राज नाराणय से न उनके बेटे बल्कि बहु और दो पोतियों को भी उनसे छीन लिया। जब उम्र के इस दौर में आदमी को टूटकर बिखरने में समय नहीं लगता। तब न सिर्फ राज नारायण ने खुद को संभाला बल्कि अपनी पत्नी प्रतिमा को सहारा देने के साथ ही एक ऐसा संकल्प लिया जिसका आज हर कोई उनका मुरीद है।
21 जनवरी 2014 से राज नारायण ने अपने बेटे के नाम पर ही नि:शुल्क कोचिंग शुरू की और काम करने वालों के बच्चे व् जिनके पास पढ़ाई के लिए पैसे नहीं है उन्हें पढ़ाना शुरू किया। और इन तीन सालों में उनके पास 40 से पचास बच्चे हैं जिन्हें वे और पढ़ाते हैं।
यही नहीं जो बच्चे उनके टेस्ट में पास होते हैं। उन्हें अपनी पोतियों के नाम सलोनी और आभा के नाम से दो सौ रुपए की मासिक स्कोलेर्शिप भी दे रहे हैं। इसके लिए राज नारायण ने कोई अतिरिक्त व्यवस्था या चंदा नहीं किया बल्कि अपनी पेंशन से ही ये सब कर रहे हैं। जिसमें उनकी पत्नी के साथ ही बेटी और नजदीकी रिश्तेदार भी साथ दे रहे हैं।
अब राज नारायण का एक ही सपना है। अगर उनकी कोचिंग का कोई बच्चा वाकई इतना होनहार है और उसकी कोई कमी उनके पैसे से पूरी हो सकती है तो वे पीछे नहीं हटेंगे। राज नारायण रोजाना इन बच्चों को खुद पढ़ाने के साथ ही दो शिक्षक भी नियुक्त हुए हैं। जिन्हें भी अपनी पेंशन से ही पैसे देते हैं। फिलहाल राज नारायण का शिक्षा का दीपक यूं ही जलता रहे और उसकी रौशनी से ये नन्हे दीपक भविष्य का उजियारा बन सकें तो किसी भी शिक्षक और समाज के लिए इससे बड़ा कोई गुरु दक्षिणा नहीं होगी।

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