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मोरेना

जहरीला दाना खाने से 32 मोरों की मौत,

दो शिकारी गिरफ्तार, 4 मिले बेहोश

मोरेनाDec 02, 2016 / 11:14 pm

monu sahu

 peacocks die

peacocks die

मुरैना। बानमोर थाना के पहाड़ी क्षेत्र शिकारियों द्वारा बड़े स्तर पर मोरों का शिकार किया जा रहा है। वन विभाग ने ग्रामीणों की सूचना पर गुरुवार शाम नौ और शुक्रवार सुबह 23 मृत व चार बेहोश मोरों को बरामद किया है। मृत मोरों का पशु अस्पताल में पीएम करवाया गया, वहीं बेहोश मोरों का डॉ.आर पी शर्मा द्वारा इलाज किया गया। वन विभाग ने एक आरोपी को शाम को और दूसरे को शुक्रवार सुबह चार बजे ग्वालियर से गिरफ्तार किया है। एक आरोपी भाग गया।
जिले में मोरों के शिकार की यह पहली वारदात नहीं है। इससे पूर्वभी कई बार मोरों के शिकार के मामले सामने आए हैं। दो सप्ताह पूर्व भी सुमावली क्षेत्र में करीब आधा सैकड़ा मोरों के शिकार का मामला प्रकाश में आया था। गुरुवार को पहाड़ी क्षेत्र में बड़ी ३२ मोरों के शिकार किया गया है। इसमें से वन विभाग ने उसी दिन शाम को नौ मोर मृत और शुक्रवार सुबह २३ मृत मोर एवं चार बेहोश अवस्था में बरामद किए। इनको पशु अस्पताल लाया गया। वन विभाग की मानें तो शिकारियों ने जहरीला दाना डालकर मोरों का शिकार किया है। वन विभाग की टीम ने एक आरोपी बल्लू निवासी शंकरपुर ग्वालियर को गुरुवार शाम नौ मृत मोरों के साथ गिरफ्तार किया। इसकी निशानदेही पर बहोड़ापुर ग्वालियर निवासी गोपाल मोगिया को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी फरार हो गया।

मोर का मांस गर्म, इसलिए ठंड में ज्यादा डिमांड
गिरफ्तार आरोपी बल्लू ने बताया कि मोर का मांस गर्म रहता है। ठंड के सीजन में इसकी डिमांड ज्यादा रहती है। इसलिए ठंड में ही हम ज्यादातर शिकार करते हैं। कुछ जहरीला दान डालकर और कुछ जिंदा जाल डालकर फंसा लेते हैं। बल्लू ने बताया कि मृत मोर का मांस लोकल के होटल वाले 300 से 350 रुपए किलो आसानी से ले लेते हैं। जीवित मोर को आगरा बगैरह बड़ी सिटी में 400 से 450 रुपए किलो ले लिया जाता है। शनिश्चरा क्षेत्र में मोर अधिकाधिक मात्रा में पायी जाती हैं, इसलिए यहां आसानी से शिकार हो जाता है और जिंदा पकड़ी भी जाती हैं।

जहरीले दाने सागर और मृत मोर जाएगी जबलपुर
पशु अस्पताल के चिकित्सक डॉ.आर पी शर्मा ने बताया कि मोरों का पीएम किया गया है। प्रथम दृष्टया जहरीला दाने चुंगने से इनकी मौत होना प्रतीत होता है। मौके से मिले जहरीले दाने को सागर लैब भेजा जाएगा, वहां यह पता चल जाएगा कि कौन सा जहर मिलाया गया है। वहीं मोर के अंगों की जांच जबलपुर में होगी, इसलिए एक मोर को आइस पैक करके जबलपुर भेजेंगे।

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