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चंबल नदी में नाव डूबी, रस्सी के सहारे फंसे लोगों को निकाला बाहर

चंबल खतरे के निशान से 5 फीट ऊपर, बिगड़ रहे हैं हालात

मोरेनाSep 18, 2019 / 11:58 am

monu sahu

चंबल नदी में नाव डूबी, रस्सी के सहारे फंसे लोगों को निकाला बाहर

ग्वालियर। चंबल नदी की बाढ़ में बरवासिन गांव में फंसे लोगों को निकालकर ला रही सेना की नाव बीच पानी में पंक्चर हो गई। हादसे में दो बच्चियों की डूबने से मौत हो गई। नाव में 15 लोग सवार थे।जौरा तहसील के बरवासिन गांव में सोमवार दोपहर करीब 12.30 बजे सेना के जवानों का रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। गांव से करीब 15 महिला व बच्चे नाव करके सुरक्षित स्थान पर ले जाए जा रहे थे। नाव बेर के पेड़ से टकरा गई। बेर के पेड़ का कांटा नाव में चुभने से पंचर हो गई और उसमें सवार सभी लोग डूबने लगे।
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कुछ लोग बिजली का तार पकडकऱ सुरक्षित निकल आए। वहीं कुछ को ग्रामीणों ने रस्सी के सहारे बचा लिया। लेकिन दो बच्चियां रोनिका (03) पुत्री उम्मेद ङ्क्षसह गुर्जर निवासी बरवासिन, सुमानी (03) पुत्री धर्मवीर सिंह गुर्जर निवासी मदन बसई नदी में डूब गईं। सुमानी मामा के यहां बरवासिन आई थी। रोनिका का शव निकाला जा चुका है लेकिन सुमानी अभी तक लापता है, उसकी तलाश की जा रही है।
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कलेक्टर मुरैना प्रियंका दास ने बताया कि 20 गांवों में बाढ़ से घिरे लोगों का रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा रहा है। बरवासिन में एसडीआरएफ की टीम ग्रामीणों को लेकर आते समय पंक्चर हो जाने से डूब गई और सभी लोग पानी में डूब गए थे। वहां मौजूद लोगों ने सभी 13 लोगों बचा लिया। दो मासूम बच्चियां डूब गई हैं, इनमें से एक का शव मिल गया है। उनके परिवार को नियमानुसार आर्थिक मदद दी जाएगी।
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2800 हेक्टेयर में फसलें नष्ट
चंबल में आई बाढ़ से 2800 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलें नष्ट हो गई हैं। चंबल में अब जल स्तर कम होने लगा है और इससे राहत एवं बचाव कार्य और तेज हो जाएंगे। सुरक्षित निकाले गए लोगों को प्रशासन के साथ समाजसेवी भी खाने-पीने का इंतजाम करवा रहे हैं। बुधवार को सुबह चंबल में जल स्तर 144.40 की तुलना में कम होकर 143.15 मीटर पर आ गया। 26 गांवों में प्रशासन की 26 टीमें रेस्क्यू कर रही हैं। कलेक्टर प्रियंका दास के अनुसार सेना, पुलिस, होमगार्ड, एनडीआरएफ, एसडीआरफ और प्रशासन की टीमें निरंतर राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हैं। टैंट व सरकारी भवनों में शिफ्ट किए गए बाढ़ प्रभावितों को वहीं भोजन व जरूरी सामान प्रशासन और समाजसेवियों द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है।
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इलाज के अभाव में मौत
उधर पोरसा के सुखध्यान का पुरा में तीन दिन से बीमार महिला को समय पर इलाज नहीं मिल सका तो सोमवार की सुबह घबराकर उसकी मौत हो गई।
यहां नहीं चला रेस्क्यू
सबलगढ़ के एक दर्जन गांव पानी से घिर हुए हैं। रायडी, राधेन, गडुला, बन्थर, गोन्दोली घुर्र, सेजापुरा, मदनपुरा, लक्ष्मण पुरा, देवलाल का पुरा, कलर घटी, रतियापुरा आदि गांवों का चम्बल के पानी के कारण शहर का आवागमन का सम्पर्क कट गया है।
चुसलई गांव में फंसे एडीएम
पोरसा. चुसलई में सभी अधिकारियों के साथ एडीएम एसके मिश्रा भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने गए थे। लेकिन सभी अधिकारी वहां से निकल आए। एडीएम का ध्यान आनन फानन में आया। गांव से ट्रैक्टर को ले जाने के लिए जैसे तैसे तैयार पर वहां तक जाने की हिम्मत नहीं हुई। सडक़ भी बैठ गई। पुलिया टूटने से रोड का संपर्क खत्म हो गया। बाद में रेस्क्यू करके एडीएम को निकाला गया।
27 स्कूलों में अवकाश घोषित
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के 27 शासकीय, अशासकीय स्कूलों में 18 और 19 सितंबर को अवकाश घोषित कर दिया है। जिन स्कूलों में अवकाश घोषित किया है। उनमें अम्बाह विकासखण्ड के शासकीय प्राथमिक विद्यालय बीलपुर, माध्यमिक विद्यालय कछपुरा, नीबरी का पुरा, धनीराम का पुरा, किसरौली, बीच का पुरा, ढागर, दलजीत का पुरा, कंचन सिंह का पुरा, बीशा का पुरा, कुथियाना, जौरा विकासखण्ड के शासकीय प्राथमिक विद्यालय गोठियापुरा (गुढ़ा चम्बल), कितोरी (ग्राम पंचायत खांडोली), मोतीराम का पुरा (खांडोली), सबलगढ विकास के शासकीय प्राथमिक विद्यालय घुर्र, बन्थर, गडुला, टापरा रायडी और मुरैना विकासखण्ड के शासकीय प्राथमिक विद्यालय मसूदपुर, पिपरई, भानुपर, नदुआ का पुरा, जैतपुर चम्बल, पटेल का पुरा, कुल्हाड़ा, मऊखेड़ा और रिठौराखुर्द है।

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