दरअसल, देवगढ़ थाना क्षेत्र के बरबासिन गांव में बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना ने वहां पहुंची। गांव से करीब एक दर्जन से अधिक महिला बच्चों को लेकर नदी पार कर रहे थे तभी बीच में ही नाव की हवा निकल गई। उसमें सभी सवार महिला व बच्चे पानी में गिर गए। अधिकांश लोग बिजली की लाइन से लटक गए। दो बच्ची पानी में डूब गई। जिनमें से एक बच्ची का शव मिल गया है और दूसरी बच्ची की तलाश जारी है।
चंबल के कहर से मध्यप्रदेश के कई जिले प्रभावित हैं। भिंड, मुरैना और श्योपुर में चंबल सबसे ज्यादा तबाही मचा रही है। इन जिलों में आर्मी, बीएसएफ और एनडीआरएफ के जवानों की तैनाती है। बताया जा रहा है कि मंगलवार को एक बार फिर से नदी का जलस्तर बढ़ गया है। चंबल सोमवार को खतरे के निशान से छह मीटर ऊपर बह रही थी। चंबल की चपेट में सौ से ज्यादा गांव आ गए हैं।
मुरैना से सेना 610 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। इसके साथ ही श्योपुर और भिंड में भी एक दर्जन गांव को खाली करवा लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। तीनों जिलों में कई जगहों पर राहत शिविर बनाए गए हैं। जहां बाढ़ प्रभावित लोगों को रखा जा रहा है। दरअसल, चंबल में उफान राजस्थान के कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद आय़ा है।
हालांकि चंबल के इस इलाके में बारिश नहीं हो रही है। उसके बाद भी स्थिति काफी खराब है। तीनों जिलों में प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। जो लोग गांव में फंसे हैं, उन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है। कई गांव टापू बने हुए हैं।