वर्ष 2016 में सीवर लाइन के प्रथम चरण के प्रोजेक्ट को 125 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली थी। अनुबंध होने तक अगस्त 2016 में इसे वित्तीय स्वीकृति 128 करोड़ रुपए की मिली। लेकिन दिसंबर 2019 में इसकी लागत 138.16 करोड़ रुपए हो चुकी है। माना जा रहा है कि काम खत्म होकर अंतिम भुगतान तक इसकी लागत और बढ़ सकती है। लेकिन 80 प्रतिशत से अधिक काम पूरा होने के दावे के बावजूद अब तक घरों को सीवर लाइन से कनेक्शन देने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। जबकि 24 हजार घरों को कनेक्शन देने में वक्त लगेगा और इसका असर प्रोजेक्ट को चालू करने पर भी पड़ेगा। कनेक्शन देने का काम दिसंबर 2019 में ही शुरू होना था। इसके लिए निगम के दल बनाकर लोगों को कनेक्शन लेने के लिए प्रेरित करना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस बीच कोरोना की वजह से मार्च में खत्म होने वाला काम अब दीपावली तक खिंच सकता है। अब कहा जा रहा है कि दल बना दिए गए हैं और कनेक्शन देने के लिए कैंप लगाने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। लेकिन लोगों का कहना है कि भरी बारिश में कनेक्शन देने के लिए कैंप लगाना ही व्यावहारिक रूप से सही नहीं होगा। यदि कैंप भी लग जाएं तो लोग बारिश में तोडफ़ोड़ के तैयार नहीं होंगे। गोपालपुरा निवासी संदीप सिंह कहते हैं कि पहले यह स्पष्ट नहीं है कि काम पूरा हो चुका है। लोग कनेक्शन ले भी लें और प्रोजेक्ट चालू नहीं हो पाए तो समस्या और बढ़ जाएगी। क्योंकि हमारे क्षेत्र में आसपास ही छह माह में तीन बार काम हो चुका है। ऐसा लगता है कि पहले काम करते समय कोई कमी छूट जाती है जिसे बाद में पूरा किया जाता है। इससे लोगों को एक ही जगह पर एक ही काम के लिए कई बार परेशान होना पड़ रहा है। बाल निकेतन के आसपास के हिस्से में पहले तीन बार में काम हो चुका है। लेकिन अब फिर से गांधी कॉलोनी वाली रोड खाद देने से लोग 15 दिन से भी अधिक समय से परेशान हैं।