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आठ बीघा पहले दबाई, और कब्जा कर रहा एनएचएआइ

तीन साल में भी नहीं दिए हर्जाने के 32 करोड़ रुपए, नए बायपास से बदलेंगे हालात

मोरेनाJan 13, 2019 / 08:52 pm

महेंद्र राजोरे

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एबी रोड किनारे एनएचएआइ का पक्का निर्माण।

मुरैना. नगर निगम को बेशकीमती ट्रांसपोर्ट नगर पर बड़ी आर्थिक चपत लग सकती है। छौंदा टोलप्लाजा पर एनएचएआइ ने नगर निगम के यातायात नगर की करीब आठ बीघा जमीन पर कब्जा कर पक्के निर्माण कर लिए हैं। ढाई साल पहले दोनों पक्ष इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए थे। बाद में प्रशासन के हस्तक्षेप से 32 करोड़ से ज्यादा के हर्जाने पर मामला सुलझ गया था।
हर्जाना तय होने के बाद भी टोलप्लाजा प्रबंधन ने पहले से पक्के निर्माणों के पीछे नया काम करवा लिया है। नगर निगम ने हर्जाने में मिलने वाली राशि के आधार पर ही यातायात नगर में अधोसंरचना विकास कार्य प्रारंभ करवाए गए हैं, लेकिन भुगतान के लिए जब निगम पर दबाव बढ़ा तो हर्जाने की राशि वसूलने की बात हुई, लेकिन इसमें निगम को सफलता नहीं मिल पा रही है। खबर है कि एनएचएआइ को यह मालूम है कि निकट भविष्य में ही मुरैना के लिए नया बायपास बनना है जो एबी रोड पर निबी के पास से मुरैना गांव होकर बनेगा। यदि यह रोड छौंदा टोलप्लाजा के बाहर निकलता है तो फिर नई प्लानिंग करनी पड़ सकती है। सूत्रों के अनुसार यातायात नगर की जिस जमीन पर कब्जा किया गया है उसका मार्केट रेट भी बहुत है। ऐसे में यदि निगम तीन साल पहले भी प्राइवेट लोगों को यह जमीन बेच लेता तो एनएचएआइ की तुलना में फायदे में रहता। 32 करोड़ रुपए का हर्जाना दो साल पहले भी मिल जाता तो निगम उसका सदुपयोग कर सकता था, लेकिन हर्जाना न तो अब तक मिला है और न ही कोई ठोस उम्मीद दिखाई दे रही है। हालांकि निगम के अधिकारियों का कहना है कि हर्जाना न मिलने पर वे पक्के निर्माण को तोड़ देेंगे, लेकिन ऐसा अब संभव नहीं दिखता है। जब कब्जा हो रहा था तब भी निगम हिटैची लेकर पहुंच गया था, लेकिन प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद यह जमीन निगम ने एनएचएआइ को देकर गलती कर दी। टोलप्लाजा के आसपास कई औद्योगिक इकाइयोंं ने भी निर्माण कार्यों और कार्य विस्तार का विरोध किया था, लेकिन प्रशासन के हस्तक्षेप से निगम को पीछे हटना पड़ा था, लेकिन अब यदि निगम को हर्जाना नहीं मिला तो यातायात नगर में चल रहे 45 करोड़ रुपए के अधोसंरचना विकास कार्यों पर भी बे्रेक लग सकता है। नगर निगम में राजस्व समिति के प्रभारी एमआइसी सदस्य संजय शर्मा के अनुसार एनएचएआइ अब यह कहकर हर्जाना देने से मुकर रहा है कि इतनी जगह की हमें जरूरत नहीं है, लेकिन निगम अपने स्तर से राशि वसूलने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है। जल्द ही मामले का निदान हो जाएगा।

निगम के लिए महत्वपूर्ण है यातायात नगर


नगर निगम ने 16 साल पूर्व शिलान्यास के बाद यातायात नगर को विकसित करने का निर्णय अपने स्तर पर लिया है, लेकिन यदि बजट के अभाव में काम लटका तो निगम को दोहरा नुकसान होगा। जो पैसा फंस जाएगा उसका कोई सदुपयोग नहीं हो पाएगा और मोटर मैकेनिक व अन्य दुकानदारों के शिफ्ट न हो पाने से बैरियर एवं बस स्टैंड क्षेत्र में यातायात की समस्या भी बनी ही रहेगी। इसलिए जरूरी है कि नगर निगम अब यातायात नगर को पटरी पर लाने के बाद ही इसका काम रोके।
बड़ी मशक्कत के बाद पटरी पर आया है काम
वर्ष 2003 में केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने यातायात नगर का शिलान्यास किया था, लेकिन स्थानीय निकाय बाद में कांग्रेस का बन जाने से इसका कार्य आगे नहीं बढ़ सका। भाजपा के पिछले कार्यकाल से यातायात नगर को विकसित करने की कवायद शुरू हुई, लेकिन इसमें भी एक नपा के समय पार्षदों व अधिकारियों ने आधा सैकड़ा प्लॉट गोपनीय तरीके से नीलाम करने की योजना बना ली थी, हालांकि बाद में यह विफल हो गई।

फैक्ट फाइल
96 बीघा के करीब है यातायात नगर की जमीन
1500 के करीब विभिन्न आकार के भूखंड उपलब्ध होंगे यहां
16 साल से अधर में लटका है यातायात नगर का काम
04 किमी दूर है शहर से विकसित हो रहा यातायात नगर
45 करोड़ रुपए से कराया जा रहा है यातायात नगर का विकास
08 बीघा के करीब जमीन दबा ली है एनएचएआइ ने

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