हमाओ तो घर-द्वार सबई डूब गओ, बिटिया का ब्याह कैसे करेंगे
खाने-पीने का सामान भी डूब चुका
ग्राम खुर्द में तंबुओं में रह रहे लोग।
पोरसा. ग्राम पंचायत रायपुरखुर्द के ग्राम खुर्द में एक दर्जन परिवार गांव के बाहर सडक़ किनारे खुद के तंबू लगाकर तीन दिन से रह रहे हैं। खाने-पीने का इंतजाम गांव के सरपंच के जिम्मे है, लेकिन सही समय पर व्यवस्था नहीं हो पा रही है। आसपास के गांवों के रिश्तेदार भोजन की व्यवस्था में सहयोग रहे हैं, लेकिन अनुसूचित जाति के यह श्रमिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। गांव में उनके कच्चे बाढ़ में नष्ट हो गए हैं और खाने-पीने का सामान भी डूब चुका है। एक तंबू में रह ही गुड्डीबाई ने उनकी बेटी की छह माह बाद शादी होनी है। गुड्डीबाई कहती हैं कि बाढ़ में घर-मकान सब चला गया। खेती-बाड़ी, दाम-पैसा हमारे पास है नहीं। सरकार कुछतो मदद करे। इस स्थिति से हम हर साल जूझते हैं। एक महिला मनोरमा ने बताया कि घर में कुछ नहीं बचा। कच्चा मकान था जो बैठ गया, गल्ला भी बह गया। सरकार हमें प्लॉट दे, घर-मकान का इंतजाम करे। बच्चों को लेकर कब तक घूमेंगे। सुनीता ने बताया कि बाढ़ में सब बर्बाद हो गया। शासन हमें कहीं सुरक्षित जगह पर बसाए। शासन-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है।
311 लोगों को किया रेस्क्यू
पोरसा के बाढ़ प्रभावित सुखध्यानकापुरा, रामगढ़, इंद्रजीतकापुरा व चुसलई से बुधवार को 311 लोगों को रेस्क्यू किया गया। उन्हें शासकीय माध्यमिक विद्यालय रतन बसई के अस्थाई राहत कैंप में पहुंचाया गया है। इन गांवों के 151 लोगों ने आने से मना करने पर दिया। उनके लिए गांव में ही उनको 2.5 क्विंटल आटा, 1 क्विंटल चावल, 50 किलो चना व 50 किलो शक्कर का इंतजाम किया गया है।
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