वनमंत्री ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि रेत उत्खनन रोकने के लिए हमने तीन कंपनियां पुलिस की और मांगी हैं। उल्लेखनीय है कि 30 जनवरी को पत्रिका ने लाठी-डंडों से वनकर्मी कर रहे वन संपदा की सुरक्षा, खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिस पर मंत्री से वनकर्मियों की सुरक्षा की बात कही। तो उन्होंने एक माह में लाइसेंस दिए जाने का आश्वासन दिया। इस दौरान उनके साथ भोपाल के सीसीएफ पुष्कर सिंह, एसएस राजपूत और ग्वालियर के सीसीएफ सीसीएफ बीएस अन्नीगिरी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
लाठी-डंडों के सहारे वन कर्मी कर रहे वन संपदा की सुरक्षा
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा, दतिया जिले में हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में आरक्षित जंगल की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन फॉरिस्ट गार्ड व वन मंडल अधिकारियों के पास है उन्हें सुरक्षा के नाम पर बेहद कम हथियार दिए गए हैं। हथियारों के नाम पर केवल एक रिवॉल्वर और छह अन्य तरह के हथियार हैं ।
जानकारी के मुताबिक जिले में तीन वन क्षेत्र है इसमें एक सेवढ़ा रेंज के लिए ही 12 बोर की 6 बंदूक और एक रिवाल्वर है ना तो दतिया रेंजर के पास ना गोराघाट और ना ही अन्य अधिकारियों के पास हथियार हैं । इससे वन कर्मी भी वनों की सुरक्षा में हिचक महसूस करते हैं मगर उन्हें नौकरी करनी पड़ रही है।
पुलिस के पास पर वन विभाग को नहीं
प्रदेश के गृह विभाग से तुलना करें तो पुलिस के उपनिरीक्षक से लेकर ऊपर के अधिकारियों तक रिवाल्वर देने का प्रावधान है ,लेकिन वन विभाग में ना तो उपनिरीक्षक को हथियार है ना ही वन परीक्षेत्र अधिकारी को । यहां तक कि एसडीओ के पास भी रिवाल्वर नहीं है ।जबकि फील्ड स्टाफ के लिए 12 बोर डबल बैरल, 12 बोर सिंगल बैरल और .32 बोर का रिवाल्वर देने का प्रावधान है।