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मोरेना

सूखा प्रभावित जिले में खरीफ का लक्ष्य महज 3% बढ़ा

दो साल से जिले में बन रहे थे सूखे के हालात, अच्छी बारिश हुई तो बढ़ा देंगे

मोरेनाJun 16, 2018 / 06:23 pm

महेंद्र राजोरे

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बारिश के इंतजार में सूखे पड़े खेत।

मुरैना. तीन साल से सूखे की मार झेल रहे जिले में इस साल खरीफ फसल का रकबा तीन फीसदी से भी कम बढ़ाया गया है। बीते साल खरीफ फसलों की बोवनी 2.14 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जबकि इस साल लक्ष्य महज 2.20 लाख हेक्टेयर का रखा गया है। कृषि विभाग का मानना है कि प्रारंभिक तौर पर बारिश की स्थिति देखने के बाद इस लक्ष्य को और बढ़ाया जा सकता है।
जिले की औसत सालाना सामान्य बारिश 706.9 एमएम है, लेकिन वर्ष 2015 में महज 447.3 और 2016 में 764.7 एमएम बरसात ही हुई। 2017 में 720 एमएम के करीब बारिश हुई। कम बारिश के कारण वर्ष 2015 में पूरे जिले को और 2016 में तीन तहसीलों को सूखा प्रभावित क्षेत्र घोषित करना पड़ा था। वर्ष 2017 में भी जिले पर सूखे का प्रभाव रहा। इस स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग ने लक्ष्य को ज्यादा नहीं बढ़ाया। खरीफ की बोवनी की लक्ष्य पूर्ति का पूरा दारोमदार बाजरे की फसल पर रहता है। जिले में बाजरे की खेती तकरीबन एक लाख हेक्टेयर तक होती है। उसके बाद अरहर की बोवनी की जाती है। दो साल से कम बारिश को देखते हुए कृषि विभाग ने इस साल खरीफ फसल का लक्ष्य दो लाख 20 हजार 100 हेक्टेयर का रखा गया है, जबकि बीते साल दो लाख 14 हजार 100 हेक्टेयर में बोवनी की गई थी। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि प्री-मानसून की बारिश भी ठीक से नहीं हो रही है। ऐसे में यदि मानसून पिछड़ा तो किसानों को बोवनी में व्यावाहारिक परेशानी आती है। इससे जहां अरहर का रकबा घट जाता है वहीं बाजरे की बोवनी पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है, लेकिन अभी बोवनी के लिए पर्याप्त और अनुकूल समय है। किसान रामवीर शर्मा कहते हैं कि बहुत से किसानों ने एक बार जुताई करके खेतों को छोड़ दिया है। मानसून के पहले की एक-दो अच्छी बारिश हो जाती तो तैयारी तेज हो जातीं। जब अरहर की बोवनी का समय आएगा तब लगातार बारिश हुई तो व्यावहारिक दिक्कत आती है। हालांकि कृषि विशेषज्ञ भी किसानों को अब दलहनी फसलों का रकबा बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसका असर भी दिख रहा है।
बोवनी की स्थिति देखने के बाद बढ़ेगा लक्ष्य
कृषि विभाग ने रणनीति के तहत ही लक्ष्य संशोधित किया है। यदि मौसम ने साथ दिया तो यह लक्ष्य 2.5 लाख हेक्टेयर तक भी पहुंच सकता है। यदि मौसम अनुकूल नहीं रहा तो कम पानी चाहने वाली फसलों की बोवनी पर जोर दिया जाएगा और कोशिश की जाएगी कि तय किया गया संशोधित लक्ष्य पूरा हो जाए।
कथन
फिलहाल तो खरीफ का लक्ष्य ज्यादा नहीं बढ़ाया है। यदि बारिश ठीक और समयानुसार हुई तो इसे बढ़ाया जा सकता है। अभी तो छह हजार हेक्टेयर ही लक्ष्य बढय़ा है।
अशोक सिंह गुर्जर, एसएडीओ, कृषि मुरैना

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