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मोरेना

12 लाख लीटर रोज दुग्ध उत्पादन, फिर भी जिले के माथे पर मिलावट का दाग

श्वेत क्रांति के अग्रणी जिलों में शुमार मुरैना अब दूध और उसके उत्पादों में जहर मिलाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम है।

मोरेनाDec 24, 2021 / 07:14 pm

Ravindra Kushwah

12 लाख लीटर रोज दुग्ध उत्पादन, फिर भी जिले के माथे पर मिलावट का दाग

शहर में पकड़ा गया नकली पनीर।

रवींद्र सिंह कुशवाह, मुरैना. दुग्ध उत्पादन में कोई कमी नहीं है आई है बल्कि वृद्धि ही हुई है, लेकिन ज्यादा मुनाफे की चाह ने सफेद कारोबार को काला कर दिया। मिलावटखोरों पर कार्रवाई की जटिल कानूनी प्रक्रिया के साथ राजनीतिक संरक्षण भी इसे बढ़ावा दे रहा है। मुरैना के माथे पर मिलावट का ऐसा दाग लगा कि लोग अब मावा और दूध से बने हर उत्पाद को संदेह की निगाहों से देखते हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर जिले की कुल आबादी 19.65 लाख से अधिक है। जबकि जिले में दूध का उत्पादन रोज 12 लाख लीटर होता है। इतनी आबादी पर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन की यह मात्रा कोई कम नहीं है, लेकिन धंधेगीरों ने भोले-भाले किसानों और पशु पालकों को भी इसकी चपेट में ले लिया है। अब दूध से क्रीम और अन्य उपयोगी पदार्थ मशीनों के माध्यम से निकालकर सिंथेटिक दूध भी तैयार किया जा रहा है और मावा, पनीर व दही भी। शुद्ध घी, दूध, मावा, पनीर और दही की तुलना में सिंथेटिक उत्पाद करीब आधी लागत पर तैयार हो जाता है। ऐसे में 300 रुपए में दो किलो तक तैयार हो जाने वाला मावा व पनीर बाजार में 600 रुपए किलो तक में बिकता है। इसमें स्किम्ड मिल्क, रिफाइंड और कुछ केमिकल मिलाए जाते हैं, जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं।
रोज दो लाख लीटर तक नकली दूध
एक अनुमान के अनुसार जिले भर में रोज पांच लाख लीटर तक दूध नकली तैयार हो रहा है। इसी से पनीर, मावा व अन्य उत्पाद बन रहे हैं। इन्हीं से मिठाइयां बन रही हैं। पांच लाख लीटर नकली दूध का आधा भी मुनाफा मान लिया जाए तो करीब एक लाख लीटर दूध 35 से 40 रुपए लीटर की दर से थोक में खपाया जा रहा है। प्रकार प्रतिदिन 40 से 50 लाख रुपए का नकली कारोबार हो रहा है। जबकि गांवों से दूध तो 25-30 रुपए लीटर ही उठाया जा रहा है।
सहकारी संस्थाएं नहीं बन सकीं विकल्प
जिले में 100 से ज्यादा दुग्ध सहकारी संस्थाएं काम कर रही हैं, लेकिन वे हर जगह अपनी पहुंच नहीं बना सकीं। इससे दुग्ध उत्पादक किसानों और पशु पालकों को सिंथेटिक कारोबार करने वालों को मजबूरी में सस्ता दूध बेचना पड़ता है। इसका फायदा उठाकर नकली दूध तैयार किया जा रहा है।
तीन दर्जन लोगों पर जुर्माने की कार्रवाई
बीते एक साल में करीब तीन दर्जन मामलों में अपर कलेक्टर न्यायालय से तीन दर्जन मिलाटखोरों के विरुद्ध जुर्माने की कार्रवाई की गई है। लेकिन बाद में लोग न्यायालय में चले जाते हैं। हालांकि नवंबर माह में ही न्यायालय ने जौरा के एक मामले में आरोपी के विरुद्ध एक साल की जेल व जुर्माने का फैसला सुनाया है।
सरसों के तेल में अब कम हुई मिलावट
ब्लेंंडेड ऑयल के लाइसेंस देने से जिले में सर्वाधिक सरसों उत्पादन के बाजूद मुनाफे के लिए राइसब्रॉन व अन्य मिलाटव हो रही थीं। कोरोना काल से पहले ब्लेंडेड ऑयल पर रोक के बाद सरसों के भाव भी अच्छे हुए और कुछ हद तक राहत भी मिली है। ऐसा ही प्रयास दुग्ध और उसके उत्पादों के लिए होना चाहिए।
भैंसवंश बढ़ रहा है, गोवंश हो रहा कम
संगणना गोवंश भैंसवंश बकरीवंश कुल
19वीं 1.42 6.31 1.61 9.34
20वीं 1.30 6.87 1.67 9.84
वृद्धिदर -8.45 8.87 3.73 5.35
नोट-पशु संगणना के आंकड़े, लाख में हैं।
कथन-
जिले में दूध की कमी नहीं है, किसानभाई और पशु पालक पर्याप्त मेहनत कर रहे हैं, लेकिन दूध और उसके उत्पादों के निर्यात में ज्यादा मुनाफे ने मिलावट के कारोबार को प्रोत्साहित किया है। कार्रवाई की प्रक्रिया भी सुस्त होने से इसे प्रोत्साहन मिलता है।
दुष्यंत श्रीवास्तव, अभिभाषक, मुरैना
-देखादेखी चलन से चल गया है। पिछले 10 साल में ज्यादा बढ़ा है, इसकी वजह बेरोजगारी भी हो सकती है।
धर्मेंद्र जैन, एफएसओ, मुरैना
-जिले में दूध का पर्याप्त उत्पादन है। रोज लगभग 12 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। फिर भी मिलावट करने वाले केवल मुनाफे को ही ध्यान में रखते हैं।
डॉ. आरके त्यागी, डिप्टी डायरेक्टर, वेटेनरी, मुरैना।

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