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मोरेना

कलेक्टर के आदेश के बाद भी खत्म नहीं हुए अटैचमेंटकलेक्टर के आदेश के बाद भी खत्म नहीं हुए अटैचमेंट

डीईओ कार्यालय और कलेक्टे्रट में सबसे ज्यादा शिक्षक अटैच

मोरेनाOct 01, 2017 / 12:25 pm

महेंद्र राजोरे

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मुरैना. जून के अंतिम सप्ताह में कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने मुरैना में ज्वॉइनिंग के एक-दो दिन बाद ही सख्त निर्देश दिए कि शिक्षकों का अटैचमेंट समाप्त कर दिया गया है। सभी अपनी-अपनी शालाओं में आमद दर्ज कराएं, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन तीन महीने बाद भी कलेक्टर के आदेशों को इन शिक्षकों पर कोई असर नहीं पड़ा, वहीं जिला शिक्षा अधिकारी ने भी कलेक्टर के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। इसी का परिणाम है कि आज भी दर्जनों शिक्षक अटैच हैं, जिसके चलते स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। सबसे ज्यादा अटैचमेंट तो जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ही हैं, जो शिक्षण व्यवस्था के लिए प्रमुख जिम्मेदार हैं।

मप्र शासन लोक शिक्षण संचालनालय से कई बार पत्र आ चुका है कि शिक्षकों का अटैचमेंट खत्म किया जाए। इसी तारतम्य में कलेक्टर लाक्षाकार ने निर्देश जारी किए थे, लेकिन इस निर्देश का डीईओ द्वारा पालन कराना तो दूर अपने कार्यालय में वर्षों से जमे शिक्षकों को ही नहीं हटा पाए। इससे लगता है कि अटैचमेंट में जिला शिक्षा अधिकारी की मौन स्वीकृति है। डीईओ ऑफिस में कई शिक्षक तो ऐसे हैं जो अपनी आमद दर्ज कराकर नेतागिरी कर रहे हैं या फिर अपने घर के निजी कार्यों में व्यस्त हैं। जिन शाखाओं का भार इन शिक्षकों पर है, अगर उनको चेक किया जाए तो बड़े स्तर का घपला सामने आ सकता है। कलेक्टे्रट में वर्षां से जमे शिक्षकों की स्थिति यह है कि वह तो स्कूल भूल ही गए। वह तो अपने आपको कलेक्टे्रट का स्थायी कर्मचारी मान कर काम कर रहे हैं। जब भी कोई नया अधिकारी आता है तो अपनी सेटिंग बैठा लेते हैं और निश्चित होकर फिर से पुराने ढर्रे पर काम करने में जुट जाते हैं।

खेल शाखा में महिला कर्मचारियों की फौज!


जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की खेल शाखा में महिला कर्मचारियों की लंबी सूची है जो यहां पर अटैच हैं। इनमें से अधिकांश महिला कर्मचारी ऐसी हैं जो खेल के बारे में एबीसीडी भी नहीं जानतीं। ये न तो खेल के समय और न कार्यालय में कभी दिखाई देती हैं। इन पर खेल विभाग के एक बाबू का रहमोकरम है। ये चाहते हैं उस महिला कर्मचारी को अपनी शाखा में अटैच करवा लेते हैं। ये अपने विभाग में काफी चर्चा में रहते हैं। बाबू के हिसाब से जो महिला कर्मचारी काम नहीं करती है, उसको नए सत्र में हटा दिया जाता है और नहीं तो वहीं अटैच रहती हैं। कुछ महिला कर्मचारी तो लंबे समय से यहां अटैच हैं।

ये शिक्षक हैं विभागों में अटैच
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की खेल शाखा में शिल्पी कुलश्रेष्ठ पीएस मांगरोल सबलगढ़, सुरेन्द्र सिंह तोमर, सरिता उपाध्याय, सीमा शर्मा, सीमा यादव, सुजाता तोमर, गिरीश सारस्वत, मधु शाक्य, सरोज राजपूत, आरती अवस्थी, राजवीर गुर्जर, रश्मि अग्निहोत्री सहित दो दर्जन स्टाफ अटैच है। वहीं डीईओ ऑफिस में राघवेन्द्र सिंह तोमर, भवानी शंकर शर्मा, सतीश शर्मा, अंजना खन्ना, ब्रजेन्द्र सिंह, रामरतन माहौर और पूरन जाटव, रुस्तम ङ्क्षसह राजपूत सहित डेढ़ दर्जन से अधिक बीईओ कार्यालय में अटैच हैं। रामसिंह तोमर कन्या उमावि क्रमांक एक में अटैच है। वहीं बीआरसी कार्यालय में भी एक दर्जन शिक्षक अटैच बताए गए हं। कलेक्टे्रट के निर्वाचन में 14 साल से दिवाकर पचौरी, 14 साल से ही प्रकाशचंद्र गुप्ता, दो साल से सतीश गौड़, करीब 15 साल से सुरेश कुलश्रेष्ठ अटैच हैं। कलेक्टे्रट में ही करीब 12 साल से धर्मेन्द्र कश्यप, दो साल से कमल बाथम, एक साल से राजेश शर्मा, बघपुरा स्कूल का भृत्य श्यामसुंदर श्रीवास्तव पांच वर्ष से, रेनू वर्मा, मिडिल स्कूल देवलाल का पुरा का भृत्य तीन साल से, पूनम शुक्ला, संजू शर्मा अटैच हैं। इसके अलावा अन्य विभाग के कर्मचारी गजेन्द्र कश्यप (लोक निर्माण विभाग) डेढ़ दशक से, पांच साल से सिंचाई विभाग के सुनील श्रीवास्तव, देवेन्द्र कुमार गौड़, सचिन तिवारी, गजेन्द्र सिंह के कलेक्टे्रट में इसके अलावा कुछ एसडीएम और तहसील में भी अटैच हैं। यह स्थिति जिला मुख्यालय की है। इसके अलावा जिले भर में बीआरसी, बीईओ सहित अन्य कार्यालयों में भी शिक्षक अटैच हैं।
यह बात सही है कि हमने अटैचमेंट समाप्त करने के आदेश दिए थे। खत्म क्यों नहीं हुए, इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी से बात करेंगे।
भास्कर लाक्षाकार, कलेक्टर, मुरैना

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