मुरैना। शहर में पार्कों के कायाकल्प के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाई जाती रही हैं। पिछली परिषद ने तो सालभर पहले कुछ पार्कों की दशा सुधारने के नाम पर 39 लाख रुपए खर्च भी किए। यह बात और है कि इन पार्कों के हालात अभी भी पहले जैसे ही हैं। तो फिर मोटी रकम कहां खर्च हुई, यह जांच का विषय है।
वर्ष 2014 के अंत में नगर पालिका परिषद ने पार्कों के जीर्णोद्धार का संकल्प पारित किया था। कायाकल्प के लिए जिन 10 पार्कों को चुना गया। खास बात यह है कि ये सभी पार्क पुरानी हाउसिंग बोर्ड, केशव कॉलोनी व कमिश्नर कॉलोनी क्षेत्र में ही स्थित हैं। सर्वाधिक 12 लाख, 2 हजार, 750 रुपए पुरानी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में कालीमाता मंदिर वाले पार्क पर खर्च किए गए। जबकि कमिश्नर कॉलोनी स्थित एक पार्क के जीर्णोद्धार पर सबसे कम एक लाख, 45 हजार रुपए का व्यय दर्शाया गया।
हकीकत यह है कि जिन पार्कों के जीर्णोद्धार पर 39 लाख रुपए से अधिक की धनराशि खर्च की गई, उनकी दशा अभी तक खराब है। पार्कों को देखकर लगता ही नहीं कि वहां कायाकल्प जैसा कोई काम हुआ होगा। लोगों का कहना है कि सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि एक क्षेत्र विशेष के पार्कों को ही जीर्णोद्धार के लिए क्यों चुना गया। इसकी जांच भी होनी चाहिए थी कि जब जीर्णोद्धार पर लाखों रुपए खर्च किए गए तो पार्कों की हालत खराब क्यों है।
बड़े पार्कों की नहीं ली सुध
पिछली परिषद ने कायाकल्प के लिए ऐसे पार्कों को चुना, जिनके बारे में अधिकांश लोग जानते ही नहीं हैं, जबकि शहर के कुछ बड़े पार्कों में भी वर्षों से कायाकल्प की जरूरत महसूस की जा रही है। उल्लेखनीय है कि शहर के संजय पार्क में कुछ वर्ष पहले शुरू कराया गया काम अंजाम तक नहीं पहुंच सका। एमएस रोड स्थित नेहरू पार्क में भी योजना के मुताबिक काम नहीं हो सका है। और तो और पिछली परिषद ने नगर पालिका कार्यालय के सामने वाले पार्क के कायाकल्प में भी रुचि नहीं दिखाई।